देश में गेहूं उत्पादन का फिर बनेगा नया रिकॉर्ड

New record will be made for wheat production in the country
देश में गेहूं उत्पादन का फिर बनेगा नया रिकॉर्ड
देश में गेहूं उत्पादन का फिर बनेगा नया रिकॉर्ड

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। मानसून सीजन के आखिरी दौर की बारिश से भले ही खरीफ सीजन की कुछ फसलों को नुकसान पहुंचा है, लेकिन आगामी रबी सीजन के फसलों के लिए यह फायदेमंद साबित होने वाली है। पिछले साल सरकार ने देश में रिकॉर्ड 10.21 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान रखा था वहीं चालू फसल वर्ष 2019-20 के आगामी रबी सीजन के लिए केंद्र सरकार ने 10.05 करोड़ टन का लक्ष्य रखा है।

खासतौर से रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई का क्षेत्र (रकबा) इस साल बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों की माने तो आगामी रबी सीजन में देश में गेहूं के उत्पादन का फिर एक नया रिकॉर्ड बनेगा।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले वाले भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर), करनाल के निदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि रबी सीजन के दौरान मौसम अगर अनुकूल रहा तो पिछले साल के मुकाबले इस साल गेहूं का ज्यादा उत्पादन हो सकता है, जिससे एक नया रिकॉर्ड बन सकता है।

सिंह ने पिछले साल भी कहा था कि गेहूं के उत्पादन का आंकड़ा 10 करोड़ टन हो पार कर सकता है और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के चौथे उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में रिकॉर्ड 10.21 करोड़ टन है। हालांकि चालू फसल वर्ष 2019-20 के आगामी रबी सीजन के लिए केंद्र सरकार ने 10.05 करोड़ टन गेहूं होने का लक्ष्य रखा है, लेकिन सिंह का कहना है हालिया बारिश से गेहूं का रकबा बढ़ सकता है, जिससे गेहूं के उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।

उन्होंने कहा, इस साल रबी फसलों में खासतौर से गेहूं का रकबा बढ़ सकता है, क्योंकि चना के बदले गेहूं की खेती में किसान ज्यादा दिलचस्पी ले सकते हैं, जिससे चने का कुछ रकबा गेहूं में शिफ्ट हो सकता है।

उन्होंने कहा कि इस साल मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश होने से देश के जलाशयों में काफी पानी भरा हुआ है, जिससे सिंचाई में भी मदद मिलेगी।

ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देशभर के 120 प्रमुख जलाशयों में 151.9 अरब घनमीटर पानी है जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 125.22 अरब घनमीटर पानी था।

गेहूं की खेती में किसानों की दिलचस्पी की एक और वजह है कि रबी सीजन की एकमात्र फसल गेहूं है जिसकी सरकारी खरीद पूरे देश में होती है।

सरकारी एजेंसी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में किसानों से सीधे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीदती हैं। पिछले साल सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,840 रुपये प्रति कुंटल तय किया था, जिसमें इस साल फिर वृद्धि होने की संभावना है।

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने रबी फसलों के एमएसपी के लिए अपनी सिफारिश कृषि मंत्रालय को भेज दी है। यह जानकारी मंत्रालय के एक सूत्र से मिली, जिसके मुताबिक गेहूं का एमएसपी बढ़ाकर 1,925 रुपये प्रति कुंटल करने की सिफारिश की है।

देश में सबसे अगेती गेहूं की बुवाई सबसे पहले मध्यप्रदेश और राजस्थान और गुजरात में शुरू होती है, जहां पिछले दिनों हुई बारिश के कारण बुवाई थोड़ी देर से शुरू हो सकती है, लेकिन कृषि विशेषज्ञों के अनुसार खेतों में नमी होने से बुवाई का रकबा बढ़ सकता है।

राजस्थान के एक कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि पिछले साल देश में चने का उत्पादन 100 लाख टन से ज्यादा था, लेकिन सरकारी एजेंसी ने कुछ ही जगहों पर एमएसपी पर चने की खरीद की थी, बाकी जगहों पर किसानों को एमएसपी से कम भाव पर ही चना बेचना पड़ा था और अभी भी चने का भाव एमएसपी से नीचे ही है। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी वजह है कि किसान चने के बजाय गेहूं की खेती में दिलचस्पी ले सकते हैं, क्योंकि उनको गेहूं का उचित भाव तो मिल जाता है।

मध्यप्रदेश के उज्जैन के जींस कारोबारी संदीप सारदा ने बताया कि बीते 15 दिनों में गेहूं के दाम में 100 रुपये प्रति कुंटल से ज्यादा का इजाफा हुआ है। इस समय उज्जैन में गेहूं का भाव 2,050-2,350 रुपये प्रति कुंटल है। उन्होंने बताया कि इन दिनों दक्षिण भारत से गेहूं की जबरदस्त मांग आ रही है।

उन्होंने कहा कि गेहूं के आयात पर 40 फीसदी शुल्क होने से देश में गेहूं का आयात महंगा हो गया है, जिससे दक्षिण भारत में गेहूं की ज्यादातर जरूरतों की पूर्ति मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से हो रही है।

Created On :   14 Oct 2019 2:00 PM GMT

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