नीरव-मेहुल लाना चाहते थे IPO, हजारों करोड़ के घाटे से बचे निवेशक

नीरव-मेहुल लाना चाहते थे IPO, हजारों करोड़ के घाटे से बचे निवेशक
नीरव-मेहुल लाना चाहते थे IPO, हजारों करोड़ के घाटे से बचे निवेशक
नीरव-मेहुल लाना चाहते थे IPO, हजारों करोड़ के घाटे से बचे निवेशक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले (PNB) में हर दिन नई परते खुलती जा रही है। ED घोटालेबाज नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के तमाम ठिकानों पर छापा मारने की कार्रवाई कर रही है। इस बीच एक चौकाने वाली बात सामने आई है। जानकारी के मुताबिक नीरव मोदी और मेहुल चौकसी फंड जुटाने के लिए शेयर बाजार का सहारा लेने वाले थे।

दोनों एक सहयोगी कंपनी के जरिए IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफर) लाने की तैयारी में थे। पिछले साल नीरव मोदी ने फायरस्टार डायमंड इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के लिए बैंकर्स को अपॉइंट किया था। नीरव मोदी कंपनी "फायर स्टार डायमंड्स" के नाम पर 1000 करोड़ रुपये का आइपीओ लाने वाला था। लेकिन कंपनी के कारोबार एवं खातों में अनियमितता पाए जाने के कारण सेबी ने उसके पब्लिक इश्यू का आवेदन रद्द कर दिया था।

वहीं मेहुल अपनी दूसरी कंपनी "नक्षत्र व‌र्ल्ड लिमिटेड" का आइपीओ लाना चाहता था। 650 करोड़ रुपये के इस आइपीओ के लिए उसे सेबी की अनुमति भी मिल गई थी। लेकिन शेयर बाजार से जुड़े सूत्रों के अनुसार उन्हीं दिनों गीतांजलि जेम्स के कुछ घोटालों के सामने आने के कारण मेहुल को आइपीओ लाने से पीछे हटना पड़ा था। गीतांजली जेम्स के नक्षत्र वर्ल्ड को IPO के लिए नवंबर 2017 में पूंजी बाजार नियामक सेबी से हरी झंडी मिली थी। अगर ये IPO आ जाता तो निवेशकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता था।

ED की छापेमारी में अब तक लगभग 5 हजार 600 करोड़ की संपत्ति जब्त करने का दावा किया जा रहा है। यहां पर सवाल उठता है कि क्या इस संपत्ति की जब्ति के बाद बैंक का डकारा 11 हजार 400 करोड़ रुपया वापस आ जा जाएगा। अगर आंकड़़ों पर नजर डाले तो ये संभव होता दिखाई नहीं देता। गीतांजलि जेम्स के मुनाफे में लगातार गिरावट आ रही थी। वित्त वर्ष 2013 में कंपनी को 595 करोड़ का शुद्ध मुनाफा हुआ था, जो कि 2017 में गिरकर 166 करोड़ रह गया। इस अवधि में कंपनी का कर्ज 5,239 करोड़ से बढ़कर 8,254 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि कंपनी का सेल्स टर्नओवर वित्त वर्ष 2017 में 16,571 करोड़ था, लेकिन इसे कच्चे माल पर 16,616 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे।

कंपनी ने पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी गीतांजलि एक्सपोर्ट्स कॉर्पोरेशन के मर्जर की वजह से 1,478 करोड़ रुपये की आय स्टॉक अजस्टमेंट के रूप में दिखाई। कच्चे माल पर अत्यधिक खर्च बताता है कि कंपनी बेहद कम मार्जिन पर काम कर रही थी। वास्तव में गीतांजलि के लिए संकट की शुरुआत बहुत पहले हो गई थी। कथित तौर पर शेयरों की कीमत में छेड़छाड़ की वजह से 2013 में सेबी ने चौकसी और 25 अन्य इकाइयों को पूंजी बाजार में बैन कर दिया था। मार्च 2009 से अप्रैल 2013 से के बीच गीतांजलि के शेयर में करीब 1900 फीसदी की वृद्धि हुई और इसके एक शेयर की कीमत 32.50 रुपये से बढ़कर 649.70 रुपये हो गई। सेबी बैन के बाद शेयरों की कीमत 90 फीसदी गिरकर 65.42 रुपये पर आ गई। पीएनबी फ्रॉड के बाद इसमें 40 फीसदी की कमी आई और शुक्रवार को यह 37.55 रुपये पर आ गया।

फायरस्टार इंटरनैशनल की बात करें तो वित्त वर्ष 2016 में इसका शुद्ध मुनाफा 27 फीसदी इजाफे के साथ 455 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2016 के अंत तक कंपनी पर 3,509 करोड़ रुपये का कर्ज था। 31 मार्च 2016 को कंपनी की नेट वर्थ 2,808 करोड़ रुपये थी। उस साल 21 फीसदी की वृद्धि के साथ कंपनी की कुल बिक्री 12,511 करोड़ रुपये की थी, लेकिन कच्चे माल की कीमत 11,569 करोड़ रुपये थी।

Created On :   17 Feb 2018 11:30 PM IST

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