महंगे जैतून तेल की छुट्टी कर देगा अब मूंगफली का नया तेल

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महंगे जैतून तेल की छुट्टी कर देगा अब मूंगफली का नया तेल
महंगे जैतून तेल की छुट्टी कर देगा अब मूंगफली का नया तेल

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। खान-पान की आदतों में बदलाव और पाश्चात्य देशों के बढ़ते प्रभाव के कारण देश में विगत कुछ वर्षो से महंगे जैतून के तेल का इस्तेमाल बढ़ने लगा है, लेकिन आने वाले दिनों में मूंगफली का तेल जैतून के तेल की छुट्टी कर देगा क्योंकि देश के कृषि वैज्ञानिकों ने मूंगफली की ऐसी वेरायटीज विकसित की है जिसमें जैतून से कहीं ज्यादा ओलिक एसिड पाया जाता है।

वैज्ञानिक बताते हैं कि ओलिक एसिड कई प्रकार के खाद्य पदार्थो में पाया जाता है और इसे अच्छा वसा अम्ल माना जाता है। जैतून के तेल में इसकी मात्रा 74 फीसदी तक होती है इसलिए जैतून के तेल को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। मगर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आने वाले गुजरात के जूनागढ़ स्थित मूंगफली अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों ने मूंगफली की ऐसी वेरायटीज विकसित की है जिसमें 78 से 80 फीसदी तक ओलिक एसिड पाया जाता है।

जूनागढ़ मूंगफली अनुसंधान निदेशालय के निदेशक टी. राधाकृष्णन ने आईएएनएस से कहा कि मूंगफल की दो नई प्रजातियां, गिरनार-4 और गिरनार-5 विकसित की गई हैं जिनमें ओलिक एसिड की मात्रा 78-80 फीसदी है, जबकि जैतून के तेल में ओलिक एसिड अधिकतम 74 फीसदी है। मूंगफली की गिरनार-4 और गिरनार-5 वेरायटीज को इसी साल आंध्रप्रदेश विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में जारी करने के लिए वेराइटल आइडेंटिफिकेशन कमेटी ने चिन्हित किया।

नई वेरायटीज में ओलिक एसिड 80 फीसदी, जबकि लिनोनिक एसिड दो फीसदी और पालमिटिक एसिड छह फीसदी है। उन्होंने कहा, इस लिहाज से जैतून के तेल से मूंगफली का तेल आने वाले दिनों में ज्यादा उपयोगी साबित होगा। उन्होंने कहा कि मूंगफली की इन दोनों वेरायटीज को अभी सेंटर में उगाया जा रहा है, लेकिन इन्हें अधिसूचित किए जाने के बाद ही किसानों को बीज मुहैया हो पाएगा। उन्होंने बताया कि दिसंबर तक इन दोनों वेरायटीज को अधिसूचित कर दिया जाएगा। मूंगफली की आज जो सामान्य वेरायटीज हैं जिनकी खेती देशभर में की जाती है उसमें ओलिक एसिड की मात्रा 40-50 फीसदी होती है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के जर्नल ऑफ अंडरग्रेजुएट रिसर्च एंड इनोवेशन में 2016 के अंक में प्रकाशित एक शोध पत्र में कहा गया है कि आयातित जैतून का तेल और देश में उत्पादित मूंगफली का तेल दोनों में उच्च स्तर का मोनो अनसैचुरेटेट फैटी एसिड (एमयूएफए) और पर्याप्त मात्रा में लिनोलिक व लिनोलेनिक एसिड जैसे आवश्यक वसा अम्ल पाए जाते हैं और ये स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। शोधपत्र में हालांकि दोनों में कौन सा तेल बेहतर है, इस पर भारतीय परिप्रेक्ष्य में मूंगफली के तेल को बेहतर माना गया है और इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि मूंगफली का तेल जैतून तेल के मुकाबले सस्ता और पोषण की दृष्टि से अच्छा है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि जैतून के तेल के मुकाबले मूंगफली का तेल सस्ता भी है, इसलिए खाने में व अन्य औद्योगिक उपयोग में आने वाले दिनों में लोग इसे ज्यादा पसंद करेंगे। देश में गुजरात मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है और तिलहनी फसलों में मूंगफली के महत्व को ध्यान में रखते हुए, मूंगफली-उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के मकसद से प्रदेश में 1979 में मूंगफली अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई थी, जिसे 2009 में मूंगफली अनुसंधान निदेशालय का दर्जा प्रदान किया गया।

डॉ. टी. राधाकृष्णन ने कहा कि संस्थान के वैज्ञानिक देश में मूंगफली की पैदावार बढ़ाने और किसानों के लिए इसकी खेती को लाभकारी बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल देश में मूंगफली का उत्पादन इस खरीफ सीजन में 51 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल मूंगफली का उत्पादन 37.35 लाख टन था।

बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, खाने में इस्तेमाल होने वाले जैतून तेल की कीमत कम से कम 400 रुपये लीटर है जबकि मूंगफली का तेल 110 रुपये लीटर मिलता है।

 

Created On :   17 Oct 2019 3:01 PM GMT

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