बैंक फ्रॉड पर सरकार सख्त, 50 करोड़ से ज्यादा के लोन पर देना होगा पासपोर्ट डिटेल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक में सामने आए 12,600 करोड़ के घाटाले के बाद वित्त मंत्रालय बैंकिंग सिस्टम को मजबूत बनाने की कवायद में जुटा हुआ है। जहां पहले आर्थिक अपराधों को अंजाम देकर देश से फरार होने वालों पर कार्रवाई करने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने फ्यूजिटिव इकनॉमिक ऑफेंडर्स बिल को हरी झंडी दी थी, तो वहीं अब 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन लेने वालों को उनकी पासपोर्ट डीटेल अनिवार्य रूप से देनी होगी। सरकार ने यह कदम लोन फर्जीवाड़े की स्थिति में त्वरित और आसान कार्रवाई सुनिश्चित करने और धोखाधड़ी करनेवालों को देश से भागने पर रोक लगाने के लिए उठाया है।
क्लीन और जिम्मेदार बैंकिंग सर्विस के लिए अगला कदम
वित्त सचिव राजीव कुमार ने शनिवार को ट्विट कर कहा, ""क्लीन और जिम्मेदार बैंकिंग सर्विस के लिए अगला कदम। 50 करोड़ रुपये से अधिक के लोन पर पासपोर्ट का ब्यौरा देना जरूरी। धोखाधड़ी (फ्रॉड) के मामले में त्वरित कार्रवाई के लिए उठाया गया कदम।"" इससे पहले वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 45 दिनों के भीतर उन सभी कर्जदारों के पासपोर्ट का ब्यौरा लेने का आदेश दिया था, जिन्होंने 50 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज ले रखा है। वित्त मंत्रालय की एडवायजरी में कहा गया था कि अगर कर्जदार के पास पासपोर्ट नहीं है तो बैंक को उस व्यक्ति से घोषणापत्र के रूप में एक प्रमाणपत्र लेना होगा, जिसमें इस बात का जिक्र होगा कि संबंधित व्यक्ति के पास पासपोर्ट नहीं है।
Next step on clean N #Responsible #banking.
— Rajeev kumar (@rajeevkumr) March 10, 2018
Passport details a must for loans > 50 cr. Steps to ensure quick response in case of Frauds.@PMOIndia @FinMinIndia @PIB_INDIA pic.twitter.com/fcnTE3OFjH
सबंधित अथॉरिटीज को सूचना देने में मिलेगी मदद
माना जा रहा है कि पासपोर्ट की जानकारी मिलने से बैंकों को समय रहते कार्रवाई करने और धोखाधड़ी करने वालों को देश से भागने से रोकने के लिए सबंधित अथॉरिटीज को सूचना देने में मदद मिलेगी। दरअसल, बड़ा कर्ज लेकर देश छोड़कर भाग जाने की घटनाओं से सरकार समेत पूरे तंत्र पर गंभीर सवाल उठे हैं। इसी से चिंतित सरकार आर्थिक अपराधियों को देश में रोकने की विस्तृत योजना बना रही है। इन कदमों को इसी मेगा प्लान के हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है।
फ्यूजिटिव इकनॉमिक ऑफेंडर्स बिल को मंजूरी
गौरतलब है कि बैंकों के साथ धोखाधड़ी के लगातार आ रहे मामलों को देखते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में "भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल" (फ्यूजिटिव इकनॉमिक ऑफेंडर्स बिल) को मंजूरी दी है। दावा किया जा रहा है कि अगर ये बिल कानून की शक्ल लेता है तो फिर नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे भगौड़े आर्थिक अपराधियों पर लगाम लगाई जा सकेगी। इस बिल में भारत में इकोनॉमिक फ्रॉड कर विदेश भागने वाले अपराधियों की संपत्ति को ज़ब्त करने समेत कई सख्त प्रावधान शामिल किये गए हैं।
प्रस्तावित बिल में ये प्रावधान
- प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए के तहत एक विशेष अदालत गठित किए जाने का प्रावधान है।
- विशेष अदालत में वहीं मामले लिए जाएंगे जिनमें से 100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की रकम शामिल हैं।
- अदालत बैंक या वित्तीय संस्थाओं के साथ धोखाधड़ी करने जैसे मामलों में आरोपी को भगौड़ा घोषित करेगा।
- अपराध करके विदेश भागने वालों को अदालत में दोषी ठहराये बिना भी उनकी संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है।
- जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले कर्जदारों और जिनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है उन पर लागू होगा।

माल्या और नीरव मोदी भाग चुके है देश छोड़कर
भारतीय बैंकों का तकरीबन 9000 करोड़ रुपए लेकर विजय माल्या के भाग जाने के बाद से ही सरकार पर इस बात का दबाव था कि वह माल्या के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे और उसे वापस लाकर देश का पैसा वसूले। लेकिन सरकार विजय माल्या को तो अभी तक वापस नहीं ही ला पाई और इस बीच नीरव मोदी समेत दो-तीन और घोटालेबाज देश छोड़कर भाग गए। इस वजह से सरकार पर यह दबाव बन गया था कि वह भ्रष्टाचार पर कुछ करती दिखे। क्योंकि सरकार बनाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन पर अंकुश लगाने की काफी बातें की थी।
Created On :   10 March 2018 5:27 PM IST