वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में कम होगी महंगाई

RBI Governor says Inflation to come down in the second half of FY2023
वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में कम होगी महंगाई
आरबीआई गवर्नर वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में कम होगी महंगाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में भारत में मुद्रास्फीति (महंगाई) धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद है।

इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ, नई दिल्ली द्वारा आयोजित कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में बोलते हुए, दास ने कहा, बाजार आपूर्ति के ²ष्टिकोण से सही दिखाई दे रहा है और कई उच्च आवृत्ति संकेतक 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में रिकवरी की ओर इशारा कर रहे हैं। हमारा वर्तमान आकलन यह है कि 2022-23 की दूसरी छमाही में महंगाई धीरे-धीरे कम हो सकती है।

भारत में महंगाई के इतिहास पर बात करते हुए, आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा, 2022 की शुरुआत में महंगाई वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही तक चार प्रतिशत के लक्ष्य दर से काफी कम होने की उम्मीद थी, 2022-23 के लिए अनुमानित औसत महंगाई दर 4.5 प्रतिशत है।

आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा है कि वर्तमान दौर मुद्रास्फीति के ग्लोबलाइजेशन का है। पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है। आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि कोरोना महामारी से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था में सुधार होने लगा है मगर महंगाई अब भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है और यह अब भी केंद्रीय बैंकों के अनुमानों के ऊपर है।

दास ने कहा, मैक्रो-इकनॉमिक और फाइनेंशियल स्टैबिलिटी बनाए रखने के लिए मूल्य स्थिरता जरूरी है। इसलिए केंद्रीय बैंक व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और इसे बढ़ावा देने के उपाय करेगा। हमारे नियंत्रण से परे कारक अल्पावधि में मुद्रास्फीति को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन मध्यम अवधि में इसकी चाल मौद्रिक नीति द्वारा निर्धारित होगी।

उन्होंने आगे कहा, इसलिए, मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति को स्थिर करने के लिए समय पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था को मजबूत स्थिति में और सतत वृद्धि की राह पर कायम रखा जा सके।

उन्होंने कहा कि 2022-23 के लिए व्यावसायिक पूवार्नुमानकर्ताओं के सर्वेक्षण से पांच प्रतिशत पर औसत मुद्रास्फीति अनुमान भी काफी सौम्य रहा।

उन्होंने कहा कि हालांकि, यह फरवरी 2022 से रूस-यूक्रेन युद्ध से आगे निकल गया, जिससे वैश्विक कच्चे तेल और अन्य कमोडिटी की कीमतों में तेज उछाल आया।

दास ने कहा, वैश्विक खाद्य कीमतें मार्च में ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गईं और उनका प्रभाव खाद्य तेल, फीड लागत और घरेलू गेहूं की कीमतों में महसूस किया गया। अभूतपूर्व गर्मी की लहर के कारण रबी गेहूं के उत्पादन में कमी ने गेहूं की कीमतों पर और दबाव डाला।

उनके अनुसार, आरबीआई का उद्देश्य अर्थव्यवस्था की रक्षा करना और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना है।

उन्होंने कहा, हमारा प्रयास सॉफ्ट लैंडिंग सुनिश्चित करने का रहा है। ये उद्देश्य आज भी हमारे कार्यों का मार्गदर्शन करते हैं और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा।

दास ने कहा कि वैश्वीकरण के लाभ कुछ जोखिमों और चुनौतियों के साथ आते हैं। जटिल आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से दुनिया भर में खाद्य, ऊर्जा, वस्तुओं और महत्वपूर्ण आदानों की कीमतों पर आघात पहुंचाया जाता है।

उन्होंने कहा, वास्तव में, हाल के घटनाक्रम घरेलू मुद्रास्फीति की गतिशीलता और व्यापक आर्थिक विकास में वैश्विक कारकों की अधिक मान्यता के लिए कहते हैं, जो बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए देशों के बीच नीतिगत समन्वय और संवाद को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।

उनके अनुसार, इस तरह के अपरिहार्य वैश्विक झटकों के खिलाफ इंश्योरेंस अंतत: ठोस आर्थिक बुनियादी बातों, मजबूत संस्थानों और स्मार्ट नीतियों पर बनाया गया है। व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए मूल्य स्थिरता महत्वपूर्ण है।

दास ने कहा, हम व्यापक आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने और बढ़ावा देने के व्यापक लक्ष्य के साथ अपनी नीतियों को जांचना जारी रखेंगे। इस प्रयास में, हम अपने संचार में स्पष्ट और पारदर्शी रहते हुए अपने ²ष्टिकोण में लचीला बने रहेंगे।

(आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   9 July 2022 11:30 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story