RBI Monetary Policy: आरबीआई ने रेपो रेट को 4% पर बरकरार रखा, GDP में 7.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान

RBI Monetary Policy: आरबीआई ने रेपो रेट को 4% पर बरकरार रखा, GDP में 7.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान
हाईलाइट
  • RBI ने रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया
  • खुदरा महंगाई क उच्च स्तर को देखते हुए लिया गया फैसला
  • रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर बरकरार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है।  रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर बरकरार है। यह फैसला खुदरा महंगाई क उच्च स्तर को देखते हुए लिया गया है। यह लगातार तीसरी बार है, जब भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यों की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को जस का तस छोड़ा है। 

आखिरी बार मई में ब्याज दरों में 40 बेसिस प्वॉइंट और मार्च में 75 बेसिस प्वॉइंट की कटौती की गई थी। इस साल फरवरी से केंद्रीय बैंक रेपो दर में 1.15 फीसदी की कटौती कर चुका है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खुदरा महंगाई के वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी, चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है। 

ऐसे समझे रेपो और रिवर्स रेपो रेट को
RBI जिस दर पर अन्य बैंकों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है। बैंक ग्राहकों को इसी दर से लोन देता हैं। अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो इसका फायदा ग्राहकों को भी मिलता है। अगर रेपो रेट बढ़ जाए तो ग्राहकों को मिलने वाले लोन की ब्याज दर भी बढ़ जाती है। हालांकि रेपो रेट बढ़ने या घटने के बाद ब्याज दरें में बदलाव करना है या नहीं इसका फैसला बैंक करता है। वहीं जिस रेट पर आरबीआई बैंकों को पैसा जमा करने पर ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है।

आर्थिक विकास दर में 7.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में देश की आर्थिक विकास दर में 7.5 फीसदी की गिरावट रहने का अनुमान है जबकि इससे पहले देश की आर्थिक विकास दर में 9.5 फीसदी की गिरावट रहने का अनुमान लगाया गया था। आरबीआई का अनुमान है कि देश के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में माइनस 7.5 फीसदी रह सकती है जबकि इससे पहले जीडीपी वृद्धि दर माइनस 9.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।

आरबीआई का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर 0.1 फीसदी जबकि चौथी तिमाही में 0.7 फीसदी रह सकती है। वहीं, अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी विकास दर 6.5 फीसदी के करीब रहने का अनुमान है। दास ने कहा कि देश की आर्थिक सेहत में उम्मीदों से ज्यादा सुधार देखा जा रहा है और कोरोना महाममारी की रोकथाम के लिए वैक्सीन आने की उम्मीदों से रिकवरी तेज होगी।

 खुदरा महंगाई दर तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी रहने का अनुमान
गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि देश में खुदरा महंगाई दर चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी रह सकती है, लेकिन चौथी तिमाही में घटकर 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा महंगाई दर 5.2 फीसदी से लेकर 4.6 फीसदी के बीच में रह सकती है।

Created On :   4 Dec 2020 4:51 AM GMT

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