फिलहाल सस्ते नहीं होंगे लोन, RBI ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव

- इस बैठक में लगातार चौथी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
- फाइनैंशियल ईयर 2018-19 की पहली मौद्रिक नीति समिति की बैठक गुरुवार को हुई।
- रेपो रेट 6 प्रतिशत पर पहले की तरह बनी हुई है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाइनैंशियल ईयर 2018-19 की पहली मौद्रिक नीति समिति की बैठक गुरुवार को हुई। इस बैठक में लगातार चौथी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट 6 प्रतिशत पर पहले की तरह बनी हुई है। यानी आपके घर, कार या दूसरे लोन की ईएमआई में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा। इसके अलावा रिवर्स रीपो रेट 5.75 प्रतिशत जबकि सीआरआर 4 प्रतिशत और एसएलआर को 19.5% पर कायम रखा गया है।
RBI बढ़ा सकता है रेपो रेट
RBI गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद कहा गया ‘‘एमपीसी ने मौद्रिक नीति के कड़े रुख को जारी रखते हुये रेपो रेट को पहले के स्तर पर ही रखने का फैसला किया। बताया गया कि एमपीसी ने मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के स्तर पर रखने के मध्यम अवधि के लक्ष्य को हासिल करने के अपने वादे को दोहराया है।’’ एक्सपर्ट्स का मानना है कि आरबीआई की ओर से इस साल ब्याज दरें घटेंगी ये तो कहना मुश्किल है, लेकिन बढ़ोतरी की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, क्योंकि महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई दरें बढ़ा सकता है।
आखिरी बार की थी 0.25 फीसदी की कटौती
बता दें कि RBI ने आखिरी बार 2 अगस्त 2017 को हुई बैठक में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। जिसके बाद रेपी रेट घटकर 6 फीसदी पर आ गई थी। इस के बाद महंगाई बढ़ने का हवाला देते हुए अक्टूबर में भी एमपीसी की मीटिंग में रेपो रेट में बदलाव नहीं किया गया था। अब अप्रैल 2018 की बैठक में एमपीसी के एक सदस्य माइकल पात्रा ने 0.25% रेट बढ़ाने का सुझाव दिया, लेकिन बाकी के 5 सदस्यों ने पॉलिसी रेट्स में बदलाव नहीं करने पर सहमति जताई जिसके बाद इसे पहले जैसा ही रखा गया है।
महंगाई दर में आ सकती है गिरावट
RBI ने महंगाई दर के भी कम रहने का अनुमान जताया है। RBI के मुताबिक वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही में महंगाई दर 4.7-5.1 फीसदी रह सकती है। इससे पहले RBI ने यह दर 5.1 से 5.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। इसके अलावा GDP को लेकर RBI का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी की विकास दर 7.4 प्रतिशत रह सकती है। हालांकि अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर को लेकर RBI ने चिंता जताई है।
रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट के ऐसे समझे
RBI जिस दर पर अन्य बैंकों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है। बैंक ग्राहकों को इसी कर्ज से लोन दिया जाता हैं। अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो इसका फायदा ग्राहकों को भी मिलता है। अगर रेपो रेट बढ़ जाए तो ग्राहकों को मिलने वाले लोन की दर भी बढ़ जाती है। वहीं जिस रेट पर आरबीआई बैंकों को पैसा जमा करने पर ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है।
Created On :   5 April 2018 6:15 PM IST