बेमौसम बरसात, कोरोना के कहर के बावजूद देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन

Record production of wheat in the country despite the unseasonal rain, havoc of Corona
बेमौसम बरसात, कोरोना के कहर के बावजूद देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन
बेमौसम बरसात, कोरोना के कहर के बावजूद देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन

नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। पश्मिची विक्षोभ के कारण बारबार मौसमी बदलाव और कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते फसल की कटाई और उसके बाद के हालात की चिंताओं के बावजूद भारत इस साल गेहूं के उत्पादन में नया कीर्तिमान स्थापित करने जा रहा है। कृषि वैज्ञानिक इसे देश में कृषि प्रौद्योगिकी के सतत विकास का सकारात्मक नतीजा मानते हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर), करनाल के निदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि अधिक पैदावार देने वाले और मौसमी कहर को सहन करने की प्रतिरोधक क्षमता वाले उन्नत नस्ल के बीजों और कृषि प्राद्योगिकी के विकास का लाभ किसानों तक पहुंचाने का ही परिणाम है कि भारत गेहूं के साथ ही कुल खाद्यान्नों के उत्पादन में भी नया रिकॉर्ड बना रहा है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा इसी महीने जारी फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) के तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, देश में इस साल गेहूं का रिकॉर्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन होने की उम्मीद है, जबकि कुल तमाम खाद्यान्नों का कुल उत्पादन 29.56 करोड़ टन होने का अनुमान है जोकि एक नया रिकॉर्ड है।

आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक का अनुमान है कि चौथे अग्रिम उत्पादन अनुमान में गेहूं के उत्पादन में इजाफा होगा और यह 10.80 करोड़ टन तक हो सकता है। उन्होंने कहा कि फसल के तैयार होने के आखिरी दौर में पश्चिमी विक्षोभ के चलते बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से कुछ जगहों पर गेहूं की फसल को थोड़ा नुकसान हो गया, अन्यथा उत्पादन इस साल 11 करोड़ टन को पार कर जाता।

उन्होंने बताया कि बीते साल मानसून के आखिरी दौर में देशभर में अच्छी बारिश हुई और जलाशयों में काफी पानी भरा हुआ था, इसलिए किसानों ने गेहूं की खेती में दिलचस्पी ली।

दरअसल, सितंबर और अक्टूबर के आखिर में हुई बारिश से मध्यप्रदेश के कुछ इलाके में चना और सरसों के बजाय किसानों ने गेहूं की खेती ज्यादा की।

ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, देश में गेहूं की एचडी-2967 और डीबीडब्ल्यू-187 जैसी कुछ नई नई वेरायटी विकसित की गई है जो सर्दी, गर्मी व मौसमी बदलाव को सहन करने में काफी हद तक सक्षम होने के साथ-साथ अधिक पैदावार भी देती है। उन्होंने बताया कि आज देश के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में 50-60 फीसदी इन्ही बेरायटी के गेहूं की बुवाई हो रही है।

कोरोनावायरस संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए 25 मार्च को जब देशभर में संपूर्ण लॉकडाउन किया गया था तो रबी सीजन की सबसे प्रमुख फसल गेहूं की कटाई को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई थी, क्योंकि लॉकडाउन के बाद देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में मजदूरों का संकट पैदा हो गया था, हालांकि सरकार ने रबी फसलों की कटाई, बुवाई, परिवहन व विपणन समेत तमाम कार्यो को लॉकडाउन के दौरान जारी रखने की छूट दे दी थी।

लेकिन कोरोना काल की विषम परिस्थितियों के बावजूद अन्य रबी फसलों के साथ-साथ गेहूं की कटाई समय से संपन्न हो गई है और सरकारी खरीद भी पूरे देश में करीब 334 लाख टन हो चुकी है जोकि कुल उत्पादन के एक तिहाई से थोड़ा ही कम है।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने शनिवार को एक ट्वीट के जरिए बताया कि रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए तय खरीद लक्ष्य के तहत किसानों से गेहूं और चावल की खरीद का काम जारी है। उन्होंने बताया कि एफसीआई ने 22 मई तक 333.84 लाख टन गेहूं और 54.35 लाख टन चावल की खरीद कर ली है। सभी खरीद केन्द्रों पर कोविड-19 संक्रमण से सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि गेहूं की कटाई में मेकेनाइजेशन से इस साल काफी लाभ मिला और मजदूरों की कमी के चलते फसलों की कटाई में कोई दिक्कत नहीं आई।

Created On :   23 May 2020 12:01 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story