RBI के पास नहीं थी 2000-200 के नोट की छपाई की मंजूरी!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को लेकर एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। RTI के जरिए उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक के पास ये प्रमाणित करने का कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं है कि नोटबंदी के बाद उसके पास 2,000 रुपए और 200 रुपए के नए नोट जारी करने का अधिकार था।
वहीं एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नए नोट छापने को लेकर कोई सर्कुलर भी जारी नहीं किया गया था। मुंबई के एक्टिविस्ट एमएस रॉय ने RTI के जरिए ये जानकारी मांगी थी। रॉय ने 27 फरवरी, 2017 को एक अलग आरटीआई भी दायर की थी।
रॉय ने पूछा ये सवाल
रॉय के जरिए दायर की गई RTI में एक रुपये के नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर न छापने के बारे में दस्तावेज मांगे गए थे, जबकि 5 रुपये से लेकर 2,000 तक के सभी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर मुद्रित की जा रही है।
रॉय ने कहा, "RBI के जवाब के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने 200 रुपए और 2,000 रुपए के नोट जारी करने की तिथि तक कोई भी सरकारी प्रस्ताव परिपत्र प्रकाशित नहीं किया था।"
रॉय से सवाल किया था कि "RBI बोर्ड के प्रस्तावों में 1000 रुपए में (नोटबंदी के बाद चलन में नहीं) 2000 रुपए और बाद में 200 रुपए के नोटों के डिजाइन या महात्मा गांधी की तस्वीरों को छापने पर कोई चर्चा नहीं हुई। इससे साफ है कि किसी तरह की आधिकारिक मंजूरी नहीं दी गई थी। अगर इन नोटों को जारी करने के लिए कोई मंजूरी नहीं दी गई, तो इन नोटों को डिजाइन किसने किया और बिना मंजूरी छपे कैसे?
रॉय के गांधी जी की तस्वीर ना छपने के जवाब में RBI ने कहा कि "15 जुलाई, 1993, 13 जुलाई, 1994 और 19 मई, 2016 को हुई बोर्ड की बैठकों में पारित प्रस्ताव की प्रतियां मुहैया कराईं। हालांकि, ये प्रस्ताव केवल 10, 20, 50, 100 और 500 रुपये के लिए डिजाइन फीचर के बारे में बताते हैं, जिन पर राष्ट्रपिता की तस्वीर मुद्रित हैं।
1993 में पेश हुआ था प्रपोजल
RBI के मुंबई स्थित हेडक्वार्टर से भेजे गए एक ज्ञापन के मुताबिक नोटबंदी से लगभग 6 महीने पहले 19 मई 2016 का एक दस्तावेज दिखाता है कि आरबीआई के कार्यकारी निदेशक के जरिए 18 मई 2016 को पेश किए गए प्रस्ताव को निदेशक मंडल ने मंजूरी दी थी। ये प्रस्ताव नए बैंक नोटों के डिजाइन, पैमाने और मूल्यों से संबंधित था, जिसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया था। इस तरह का प्रस्ताव पहले 8 जुलाई, 1993 को भी तत्कालीन सरकार के पास भेजा गया था, जिसमें 10, 20, 50, 100 और 500 रुपए के आकार को कम कर नए नोटों को शुरू करने का प्रस्ताव रखा था।
RTI के जरिए प्राप्त जवाब में किसी भी इस तरह का प्रस्ताव पहले 8 जुलाई, 1993 को भी तत्कालीन सरकार के पास भेजा गया था, जिसमें 10, 20, 50, 100 और 500 रुपये के आकार को कम कर नए भारतीय बैंक नोटों के एक नए ‘परिवार’ को शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया था। आरबीआई के मुंबई स्थित केंद्रीय कार्यालय से मुद्रा प्रबंधक विभाग (आरबीआई मुंबई) के मुख्य अधिकारी को भेजे गए एक ज्ञापन के मुताबिक, 15 जुलाई, 1993 को निदेशक मंडल की एक बैठक में पुराने प्रस्ताव (8 जुलाई, 1993) को मंजूरी दी गई थी, जिस पर तत्कालीन कार्यकारी निदेशक ए.पी.अय्यर के हस्ताक्षर थे।
RTI के जरिए प्राप्त जवाब में किसी भी RBI बोर्ड के प्रस्ताव के अंदर 1,000, 2,000 रुपये और हाल ही में भारतीय बैंक नोट परिवार में शामिल हुए 200 रुपये के नोट के डिजाइन की विशेषताओं या महात्मा गांधी की तस्वीर के बारे में कोई संदर्भ मौजूद नहीं है। बोर्ड के प्रस्ताव के अंदर 1,000, 2,000 रुपए और हाल ही में भारतीय बैंक नोट परिवार में शामिल हुए 200 रुपए के नोट के डिजाइन की विशेषताओं या महात्मा गांधी की तस्वीर के बारे में कोई संदर्भ मौजूद नहीं है।
स्वतंत्र जांच की मांग
रॉय के मुताबिक RBI बोर्ड ने पब्लिक डोमेन में किसी भी तरह की मंजूरी नहीं दी और ना ही कोई अन्य दस्तावेज मौजूद है, तो 200 और 2000 के नोटों की कानूनी वैधता पर बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
Created On :   30 Oct 2017 1:52 PM IST