लेमन ग्रास की खेती से आत्मनिर्भर बन रही झारखंड की ग्रामीण महिलाएं

Rural women of Jharkhand are becoming self-sufficient by the cultivation of lemon grass
लेमन ग्रास की खेती से आत्मनिर्भर बन रही झारखंड की ग्रामीण महिलाएं
लेमन ग्रास की खेती से आत्मनिर्भर बन रही झारखंड की ग्रामीण महिलाएं

रांची, 17 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल को वोकल नारे को झारखंड की महिलाएं साकार करती नजर आ रही है। पाकुड़ जिले की दो महिलाएं लेमन ग्रास की खेती कर ना केवल अपने सपनो को साकार करने में जुटी हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने की राह दिखा रही हैं।

पाकुड के पकुड़िया प्रखंड की सोनोती मुर्मू एवं लुखी हेम्ब्रम कल तक अपनी रोजी रोटी के लिए चिंतित रहती थी लेकिन आज ये लेमन ग्रास की खेती से करीब ढाई लाख रुपये की आमदनी कर रही हैं।

जोहार परियोजना संपोषित, शिकारपुर, आमकोना आजीविका उत्पादक समूह से जुड़ी सोनोती एवं लुखी ने जून 2019 में लेमन ग्रास की खेती करने की ठानी और इसकी शुरूआत की। खेती की शुरूआत में कई लोगों ने इनको पैसे डूबने को लेकर डराया भी लेकिन उत्पादक समूह की इन महिलाओं ने हार नहीं मानी। आज इनके लहलहाते खेत और उनके चेहरे की मुस्कान शून्य से शिखर की कहानी बयां कर रही है।

लेमन ग्रास की खेती की जानकारी प्राप्त कर सोनोती एवं लुखी अपने खाली पड़ी जमीन में लेमन ग्रास की खेती की। जोहार परियोजना के द्वारा लेमन ग्रास की खेती हेतु तकनीकी सहयोग एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराई गई। सखी मंडल से 50,000 का ऋण लेकर दोनों महिलाओं ने अपने 2 एकड़ जमीन में 40,000 लेमन ग्रास स्लिप लगाया।

सोनोती और लुखी पिछले एक साल में 3 बार लेमन ग्रास स्लिप की कटाई की है। इन महिला किसानों ने कुल 3 लाख 40 हजार लेमन ग्रास स्लिप की कटाई एवं 75 पैसे प्रति स्लिप की दर से बिक्री कर ढाई लाख की आमदनी की है।

अपने चेहरे पर सफलता की चमक समेटे सोनोती मुर्मू आईएएनएस को बताती हैं, हमने तो कभी सोचा भी नहीं था की इस टांड़ (उपरी भूमि) में कुछ फसल लगा पाएंगे, लेकिन जोहार परियोजना से प्रशिक्षण लेकर हमने लेमन ग्रास की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाया है।

लुखी विश्वास से भरे शब्दों में कहती हैं कि उत्पादक समूह से जुड़कर हमलोगों ने जाना की कैसे सामूहिक खेती और सामूहिक बिक्री कर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है।

लुखी आगे बताती है, उत्पादक समूह में चर्चा एवं प्रशिक्षण के बाद ही हमने लेमनग्रास की खेती करने की सोची और आज वो फैसला सही एवं सफल होता दिख रहा है, इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि एक बार फसल लगाने के बाद 5 साल तक दुबारा लगाने की जरुरत नहीं है और हर साल कमाई होगी।

ग्रामीण विकास विभाग के तहत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी राज्य में जोहार परियोजना का क्रियान्वयन कर रही है। जिसके जरिए ग्रामीण महिलाओं को उत्पादक समूह के जरिए उन्नत खेती से जोड़ा जा रहा है।

जोहार परियोजना के परियोजना निदेशक बिपिन बिहारी बताते है कि जोहार से झारखंड के गांव की तस्वीर बदल रही है, लोग पारंपरिक खेती से हटकर वनोपज का मूल्यवर्धन कर भी अपनी आय में वृद्घि कर रहें है। जमीन होते हुए भी जो किसान खेती करने मे असक्षम थे, वह अब तकनीकी प्रशिक्षण एवं सहयोग लेकर लेमन ग्रास, सहजन (मोरिंगा), तुलसी जैसे पौधों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

जोहार परियाजना के तहत उत्पादक कंपनी के जरिए आने वाले समय में तेल निकालने की मशीन लगने के की योजना है, जिससे उपज का मूल्यवर्धन कर ज्यादा मुनाफा कमा सके, साथ ही दूसरे किसानों की भी तकनीकी मदद कर सके।

परियोजना निदेशक कहते हैं, जोहार परियोजना के तहत अबतक राज्य के 11 जिलों के 21 प्रखण्ड में 3100 से ज्यादा किसानों को लेमन ग्रास की खेती से जोड़ा गया है। किसानों को तकनीकी सहयोग और सुझाव देने के लिए 542 वनोपज मित्र को प्रशिक्षित किया गया है जो इन किसानों को लगातार प्रशिक्षण एवं अन्य सलाह ग्राम स्तर पर देते है।

लेमन ग्रास अथवा नींबू घास का महत्व उसकी सुगंधित पत्तियों के कारण है। पत्तियों से वाष्प आसवन के द्वारा तेल प्राप्त होता है। जिसका उपयोग कस्मेटिक्स, सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, कीटनाशक एवं दवाओं में होता है। एंटीअक्सिडेंट के रुप में लेमन ग्रास का काफी महत्व है। लेमन ग्रास की खेती कम उपजाऊ जमीन एवं टांड मे भी आसानी से की जा सकती है तथा एक बार पौधा लगाने के बाद 5 वर्षो तक प्रति वर्ष 4 से 5 बार इसकी पत्तियों (स्लिप) की कटाई एवं बिक्री कर मुनाफा कमाया जा सकता है।

Created On :   17 Jun 2020 7:30 AM GMT

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