कोरोना से लड़ने एक और बड़े पैकेज की घोषणा जल्द

नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। कोरोना प्रकोप से देश मांग एवं आपूर्ति जैसे मुद्दों से जूझ रहा है। यह समस्या दूर करने के लिए सरकार एक और बड़े पैकेज की घोषणा कर सकती है। मगर इसकी रूपरेखा तैयार करने व घोषणा किए जाने का समय तय नहीं हुआ है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने कहा कि अगला आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पिछले महीने घोषित की गई 1,70,000 करोड़ रुपये की योजनाओं से बड़ा होगा, जो गरीबों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने और कोविड-19 से लड़ने के लिए उनके हाथों में धन प्रदान करने पर केंद्रित है।
अधिकारियों ने कहा, वित्त मंत्रालय नियमित रूप से विभिन्न आर्थिक मंत्रालयों के साथ बातचीत कर रहा है और इस कठिन समय में अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए आवश्यक उपायों पर उनसे इनपुट प्राप्त कर रहा है। लॉकडाउन की स्थिति साफ होने के बाद एक ठोस योजना को अंतिम रूप देने के लिए चर्चा की जा सकती है। सरकार द्वारा घोषित कई उपायों के लॉकडाउन में वांछित परिणाम नहीं मिल सकते हैं।
इस राहत पैकेज में भारत इंक और एसएमई सेगमेंट की चिंताओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है और विशेष रूप से वर्तमान लॉकडाउन में कठिनाइयों का सामना कर रहे यात्रा और विमानन क्षेत्रों को राहत प्रदान की जा सकती है। इसके अलावा कोरोना के प्रकोप से पनपे विपरित हालातों के बीच मांग की स्थिति पर भी गौर किया जा सकता है और उपभोग की प्रमुख वस्तुओं पर शुल्क से राहत मिल सकती है। साथ ही पूंजी बाजार को और मजबूती प्रदान करने के उपायों पर भी विचार किया जा सकता है।
आम जनता के लिए उपभोग की प्रमुख वस्तुओं के उत्पादन में पांच से छह बड़े कॉपोर्रेट घरानों को शामिल करने के सुझाव पर भी काम किया जा सकता है, ताकि देश के नागरिक मांग व आपूर्ति में होने वाले अंतर से परेशानियों का सामना न करें।
यह कार्य कॉपोर्रेट संस्थाओं के साथ किसानों को सीधे संपर्क प्रदान करके किया जा सकता है, ताकि प्रसंस्करण और उत्पादन के लिए प्रमुख खाद्य उत्पादन कारखानों तक पहुंच जाए।
इंडिया इंक एक ऐसे पैकेज की प्रतीक्षा कर रहा है, जो कुछ तात्कालिक समस्याओं का समाधान करे सके और जिन क्षेत्रों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है, उनकी दिक्कतों को कम किया जा सके। सुझावों में एलटीसीजी को अस्थायी रूप से वापस लेना, कॉपोर्रेट टैक्स का भुगतान स्थगित करते हुए बायबैक टैक्स को हटाना शामिल है। उद्योग ने यह भी सुझाव दिया है कि एनपीए के रूप में ऋण चुकौती में देरी के लिए समयसीमा को भी बढ़ाया जाना चाहिए।
कोटक संस्थागत इक्विटी ने उपभोक्ता खर्च पर अपनी एक रिपोर्ट में कहा, लॉकडाउन के उपाय वैश्विक स्तर पर कोविड-19 महामारी के प्रसार को कम करने में काम कर रहे हैं, वहीं भारत में समाज के एक बड़े हिस्से के लिए आय का बड़ा नुकसान उपभोक्ता खचरें को नुकसान पहुंचा सकता है। अर्थव्यवस्था में संभावित मंदी के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार की ओर से अतिरिक्त वित्तीय उपायों को अपनाने की उम्मीद है।
पिछले राहत पैकेज की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने संकेत दिया था कि वर्तमान लॉकडाउन से प्रभावित इंडिया इंक और एसएमई सेगमेंट के साथ ही अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों की चिंताओं पर गौर किया जाएगा और सरकार बाद में एक योजना लेकर आएगी।
सीतारमण ने कहा, हमारी पहली प्राथमिकता गरीबों तक भोजन और उनके हाथ में पैसा पहुंचाना है। हम बाद में अन्य चीजों के बारे में सोचेंगे।
Created On :   8 April 2020 7:31 PM IST