एयर इंडिया को खरीद सकती है स्विस एविएशन कंसल्टिंग 

Swiss Aviation Consulting shown interest in buying Air India
एयर इंडिया को खरीद सकती है स्विस एविएशन कंसल्टिंग 
एयर इंडिया को खरीद सकती है स्विस एविएशन कंसल्टिंग 


डिजिटल डेस्क , नई दिल्ली। भारत सरकार 2018 के अंत तक एयर इंडिया को बेचना चाहती है। स्विट्जरलैंड की स्विस एविएशन कंसल्टिंग (SAC) ने एयर इंडिया को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एयर इंडिया में दिलचस्पी दिखाने वाला ये पहला इंटरनेशनल एविएशन ग्रुप है लेकिन जानकारों की मानें तो हो सकता है कि स्विट्जरलैंड की कंपनी केवल अपने क्लाइंट्स के लिए संभावनाएं तलाश रही हो। 

हालांकि SAC को भेजी गई ई-मेल का अब तक कोई जवाब नहीं आया। बता दें ये कम्पनी 2005 में शुरू हुई थी। ये कम्पनी एविएशन सर्विसेज देती है और इसके क्लाइंट्स में विमानों के प्राइवेट मालिक और फाइनैंशियल इंस्टीच्यूशंस शामिल हैं। वैसे एयर इंडिया के लिए कुछ अन्य विदेशी कम्पनियां भी बोली लगा सकती हैं जिनमें सिंगापुर एयरलाइंस, टाटा ग्रुप और एयर फ्रांस KLM की जैट एयरवेज प्रमुख है। एयर इंडिया को खरीदने में दिलचस्पी दिखाने वाली एयरलाइन इंडिगो ने हाल ही में साफ  किया कि वह सिर्फ  एयरलाइन के इंटरनैशनल ऑप्रेशंस को खरीदना चाहती है। फिलहाल एस.ए.सी. की मंशा साफ नहीं है कि क्या उसकी सच में एयर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी है।

SAC की बिड गंभीर नहीं

एक एविएशन कंसल्टेंट ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि SAC किसी अन्य कंपनी के मुखौटे की तरह काम कर रही है। इसकी बिड गंभीर नहीं दिखती। उनका कहना था, "यह पता लगाना मुश्किल है कि क्या SAC ने किसी अन्य कंपनी की ओर से दिलचस्पी दिखाई है।" उन्होंने कहा कि सरकार को इतनी बड़ी डील में एक कंपनी को किसी क्लाइंट की दिलचस्पी जाहिर करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

SAC के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, ये एक निजी मालिकाना हक वाली कंपनी है और इसमें किसी फाइनैंशल इंस्टीट्यूशन, मैन्युफैक्चरर, ऑपरेटर, इंश्योरेंस कंपनी या मेंटेनेंस प्रोवाइडर की हिस्सेदारी नहीं है। इससे कंपनी के क्लाइंट्स को बिना किसी भेदभाव और पक्षपात के सर्विस मिलने का आश्वासन रहता है। SAC के पास एविएशन इंडस्ट्री में खास समझ रखने वाले कंसल्टेंट्स, लॉयर्स, ऑडिटर और इंजीनियर मौजूद हैं। सरकार ने कर्ज के बोझ से दबी एयर इंडिया में 76 पर्सेंट हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। इसके लिए मार्च के अंत में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) डॉक्युमेंट जारी किया गया था। सरकार की योजना एयर इंडिया के प्राइवेटाइजेशन के तीन वर्ष बाद कंपनी को लिस्ट कराने की है और उस समय सरकार की बाकी हिस्सेदारी बेची जा सकती है।
 

Created On :   10 April 2018 1:07 PM IST

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