दुनिया का सबसे साफ ईंधन अब दिल्ली में, यूरो-6 ग्रेड से प्रदूषण में आएगी 5 गुना कमी

The cleanest fuel in the world will now come in pollution by 5 times in the euro-6 grade
दुनिया का सबसे साफ ईंधन अब दिल्ली में, यूरो-6 ग्रेड से प्रदूषण में आएगी 5 गुना कमी
दुनिया का सबसे साफ ईंधन अब दिल्ली में, यूरो-6 ग्रेड से प्रदूषण में आएगी 5 गुना कमी

डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच दिल्‍ली में रविवार (1 अप्रैल) से यूरो-6 ग्रेड के पेट्रोल-डीजल की बिक्री शुरू हो गई। अब दुनिया का सबसे साफ़ पेट्रोल भारत की राजधानी दिल्ली में भी उपलब्ध होगा। बता दें दिल्ली में बढ़ रहे वायु प्रदूषण को देखते हुए सरकारी तेल कंपनियों ने यूरो-6 ग्रेड के तेल सप्लाई को 2 साल पहले ही शुरू कर दिया है। इसके बाद से दिल्ली देश का पहला ऐसा शहर बन गया है जहां पर यूरो-4 ग्रेड पेट्रोल और डीजल की जगह यूरो-6 ग्रेड पेट्रोल और डीजल आम जनों की बिक्री के लिए उपलब्ध होगा। बता दें इससे वाहन उद्योग को भी लाभ मिलेगा और वे यूरो-6 ग्रेड के वाहन यूरोप में निर्यात कर सकेंगे।

30 हजार करोड़ का निवेश 
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि तेल कंपनियों ने तय समय में स्‍वच्‍छ ईंधन आपूर्ति का अपना वादा पूरा करके दिखाया है। उन्होंने कहा है, "ऑइल इंडस्ट्री ने क्लीन फ्यूल उपलब्ध करा अपनी प्रतिब्धता दिखा दी है। अब ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की बारी है कि वे यूरो-6 ईंजन वाली गाड़ियां की बिक्री जल्द शुरू करे।" बता दें सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव और फरीदाबाद समेत समूचे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 1 अप्रैल, 2019 से बीएस-6 ईंजन को उतारने की समयसीमा तय की है। प्रधान ने कहा कि तेल कंपनियों ने बीएस-6 ग्रेड का स्‍वच्‍छ ईंधन मुहैया कराने की तकनीक पर 30 हजार करोड़ रुपये का काफी बड़ा निवेश किया है। उत्‍सर्जन के मामले में बीएस-6 ग्रेड का ईंधन यूरो-6 के बराबर मानक वाला ही है।

प्रधान ने बतया कि भारत की कार निर्माता कंपनियां यूरो-6 ग्रेड इंजन वाली गाड़ियां विदेश निर्यात कर रही हैं, उन्हें केवल ड्राइविंग सीट की जगह बदलनी है जिसके बाद से भारत में भी यूरो-6 श्रेणी की गाड़ियां बिकने लगेंगी। भारत में स्‍टेयरिंग दाहिनी ओर होता है जबकि यूरोप में राइट हैंडेड ड्राइविंग का नियम है। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री ने सबसे साफ़ ईंधन पूरे देश में उपलब्ध कराने के लिए डेडलाइन अप्रैल 2020 रखी है। बता दें पेट्रोल में 500 पीपीएम और डीजल में 1000 पीपीएम सल्फर मौजूद होता था। इंडस्ट्री द्वारा ईंधन में सल्फर की मात्रा को कम करने की लगातार कोशिश की जा रही है। फिलहाल इस योजना में जो भी खर्च हो रहा है वह तेल कंपनियां वहन करेंगी। प्रधान ने कहा कि यूरो-6 शुरू करने का निर्णय सरकार ने खुद लिया है, कोर्ट के ऑर्डर पर नहीं। 

Created On :   2 April 2018 8:23 PM IST

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