इंतजार खत्मः अगले हफ्ते बाजार में आ जाएगा फलों का राजा दशहरी

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। मलिहाबादी दशहरी आम का स्वाद देश-दुनिया के लोगों को सालों से अपना दीवाना बनाए हुए है। दशहरी आमों का इंतजार कर रहे लोगों का इंतजार अब बस खत्म होने वाला है। बाजार सूत्रों के अनुसार दशहरी आम एक सप्ताह के भीतर बाजार में पहुंचने वाला है। लखनऊ के मलीहाबाद इलाके में दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, जालंधर, भोपाल समेत देश की विभिन्न मंडियों में सप्लाई के लिए दशहरी आम तोड़े जाने लगे हैं। ट्रांसपोर्टर मोईन अली ने बताया कि फिलहाल आम तोड़ने का काम शुरुआती स्थिति में है। दिल्ली और वाराणसी को मिलाकर अब तक करीब 800 पेटी आम सप्लाई किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष आम का साइज बेहतर होने के कारण अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है। वहीं, आम कारोबारी राम कुमार ने बताया कि अब तक बाहर से ऑर्डर नहीं मिले हैं। ऐसे में एक हफ्ते बाद स्थानीय बाजार में सप्लाई शुरू कर दी जाएगी। दशहरी आमों की दुनिया में बहुत मांग है, लेकिन इस मोर्चे पर भारत की उपलब्धियां बहुत अच्छी नहीं हैं।
निर्यात में पिछड़ रहा मलिहाबाद दशहरी
दुनिया में दशहरी आम के दीवानों की कमी नहीं है। खाड़ी के देशों से लेकर पश्चिमी मुल्कों तक दशहरी आमों की बहुत मांग है। दशहरी आमों के निर्यात को प्रोत्साहन नहीं देने और इसकी किसानी में लगे लोगों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के परिचित नहीं कराने की वजह से निर्यात के मोर्चे पर दशहरी आम लगातार पिछड़ता जा रहा है। सन 2011-12 से शुरू हुई फल निर्यात नीति के तहत दो सालों तक तो स्थिति ठीक रही, लेकिन उसके बाद सरकारी उदासीनता की वजह से इसका निर्यात लगातार गिरता गया। दशहरी आमों का निर्यात बढ़ाने के लिए किए जाने वाले उपाय कागजी साबित हुए हैं। जिसकी वजह से दशहरी आम की खेती में लगे लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। दशहरी आम की खेती करने वाले बागवान रघुवीर सिंह के अनुसार अधिक कीटनाशक पाए जाने पर 2000 मीट्रिक टन दशहरी और अल्फांसो आम अमेरिका से लौटाए जाने के बाद निर्यात के लिए पूरी तरह मुंबई के कारोबारियों पर निर्भरता हो गई है।
पिछले साल की तुलना में अच्छा उत्पादन
पद्मश्री कलीम उल्ला खान ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में अच्छी पैदावार हुई है। उम्मीद है कि मुनाफा भी बेहतर ही होगा। लेकिन इस क्षेत्र को गति देने के लिए सरकार को विशेष उपाय करने चाहिए। इस साल आंधी-तूफान की वजह से आम के बागों में बहुत नुकसान हुआ है। इसके बाद भी उत्तर प्रदेश में इस बार आम का उत्पादन 45 लाख टन रहने की उम्मीद है। पिछले साल लगभग 40 लाख टन आम पैदा हुआ था। आम उत्पादकों ने कहा कि हाल के दिनों में आई आंधी, तूफान और बारिश के बावजूद इस साल अच्छा उत्पादन होगा। अच्छा उत्पादन होने की वजह से इसके दाम भी नियंत्रित रहेंगे। आम उत्पादकों को उम्मीद है कि कीमतें आने वाले समय में और गिरेंगी। भारत दुनिया में आम का प्रमुख निर्यातक देश है। हालांकि उत्पादन और निर्यात का औसत संतोषजनक नहीं है। भारत ने सन 2016-17 में 53,177.26 मीट्रिक टन आमों का निर्यात करके 445.55 करोड़ रुपए ( 67.25 मिलियन अमरीकी डॉलर)अर्जित किए थे। भारत से मुख्य रूप से अमेरिका, रूस, खाड़ी के देशों, यूके, ईरान और आस्ट्रेलिया को आमों का निर्यात करता है।
जापान-दक्षिण कोरिया पर लगी भारत की निगाहें
भारत की निगाहें अब जापान और दक्षिण कोरिया के बाजारों पर लग गई हैं। जापान और दक्षिण कोरिया दशहरी आमों के निर्यात के सभावित ठिकाने हो सकते हैं। एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) के अनुसार इन देशों पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है। चीन समेत तमाम पूर्वी देशों में थाईलैंड के आमों का मुख्यरूप से उपभोग किया जाता है। इन देशों में फाइबर वाला आम ज्यादा पसंद नहीं किया जाता। इसलिए इन देशों के लिए कम फाइबर वाले आमों की प्रजातियों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है। उम्मीद है कि जापान इस साल अच्छी मात्रा में आमों का आयात करेगा और अगर दक्षिण कोरिया भी भारतीय प्रजातियों को पसंद करता है, तो फिर इससे सुदूर पूर्व और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का बाजार खुल जाएगा। इसके लिए एपीईडीए ने इस इलाके में प्रचारात्मक गतिविधियों के आयोजन की योजना बनाई है। भारतीय दूतावास ने दक्षिण कोरिया की सरकार से अनुरोध किया है कि वह दस निर्यातकों को हमारी प्रजातियों के बारे में जानकारी देने और उनका प्रचार करने की अनुमति दे। उम्मीद है इससे भारतीय व्यापारियों को दक्षिण कोरिया पांव जमाने में मदद करेगी।
Created On :   23 May 2018 11:20 AM IST