सरकार ने किया इंटरनेट बंद, महिला ने एयरटेल पर ठोका मुकदमा, अब कंपनी देगी 44 रुपए
डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। साल 2015 में हुए गुजरात में पाटीदार आंदोलन के बारे में तो आपको याद होगा ही। राज्य में ये आंदोलन इतनी तेजी से बढ़ गया था कि सरकार को कुछ दिनों के लिए इंटरनेट सर्विस तक बंद करनी पड़ी थी, जिससे परेशान होकर यहां रहने वाली एक महिला ने टेलीकॉम कंपनी एयरटेल पर इंटरनेट की वैलिडिटी बढ़ाने या फिर 44 रुपए रिफंड करने की मांग की। इसे एयरटेल ने ठुकरा दिया। इसके बाद महिला ने एयरटेल पर केस कर दिया और अदालत में वो महिला के जीत गई। अब एयरटेल को उस महिला को 44.50 रुपए लौटाने पड़ेंगे।
क्या है मामला?
दरअसल, 2015 में हुए पाटीदार आंदोलन के समय सरकार ने 26 अगस्त से 4 सितंबर तक के लिए इंटरनेट सर्विस बंद कर दी थी। इससे पहले यहां रहने वाली अंजना ब्रह्मभट्ट ने 5 अगस्त को 178 रुपए का रिचार्ज कराया था, जिसमें उसे 2 जीबी डाटा 28 दिनों की वैलिडिटी के साथ मिला था। लेकिन सरकार के आदेश के बाद वो अपने डाटा का उपयोग नहीं कर पाई। जिससे नाराज होकर अंजना ने पहले कंपनी से इंटरनेट वैलिडिटी को 8 दिन बढ़ाने या फिर 44.50 रुपए रिफंड करने की मांग की जिसे एयरटेल ने ठुकरा दिया। इसके बाद अंजना ने कंज्यूमर फोरम में इस बात की शिकायत दर्ज कराई।
अंजना ने क्या की थी शिकायत?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑल इंडिया कंज्यूमर फोरम और एक्शन कमिटी के प्रेसीडेंट और वकील मुकेश पारिख ने बताया कि अंजना ने 178 रुपए का रिचार्ज कराया था, जिसमें उसे 28 दिनों की वैलिडिटी मिली थी। लेकिन इंटरनेट सर्विस बंद होने की वजह से अंजना को इसका पूरा फायदा नहीं मिल पाया। इस कारण हमने पहले कंपनी से मांग की लेकिन कंपनी ने नहीं माना। इस कारण हमने कंज्यूमर फोरम में केस कर दिया। अंजना ने कंज्यूमर फोरम में मानसिक प्रताड़ना के लिए 10 हजार और कानूनी खर्च के लिए 5 हजार का दावा किया था। लेकिन कोर्ट ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया।
एयरटेल ने क्या दलील रखी?
एयरटेल की तरफ से एडवोकेट नेहा परमार ने कहा कि टेलाग्राफ एक्ट-7बी के मुताबिक कंज्यूमर फोरम को इस मामले की सुनवाई का अधिकार ही नहीं है। उनका तर्क था कि ये केस आर्बिट्रेशन एक्ट के तहत होना चाहिए था। उन्होंने दलील दी कि कंपनी ने किसी कमी या लापरवाही की वजह से नहीं बल्कि सरकार के आदेश के चलते इंटरनेट सर्विस को बंद किया गया था।
कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
कंज्यूमर फोरम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि अंजना ने कंपनी से 178 रुपए का रिचार्ज कराया था। सरकार के आदेश के कारण लोगों को तो नुकसान हुआ लेकिन कंपनी को करोड़ों का फायदा हुआ है। इसलिए कंपनी को अंजना को रिफंड करना चाहिए था। कोर्ट ने कंपनी को 44.50 रुपए 12% इंटरेस्ट के साथ 55.18 रुपए देने का आदेश दिया है। हालांकि कोर्ट ने अंजना की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें अंजना ने 10 हजार रुपए मानसिक प्रताड़ना और 5 हजार रुपए कानूनी खर्च के तौर पर मांगे थे। कोर्ट ने ये ही कहा कि वो इस मामले में गुजरात हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस से भी बात करेंगे।
Created On :   7 Aug 2017 3:06 AM GMT