महंगाई की दर 14 महीने में सबसे ज्यादा, तेल-सब्जी के दाम ज्यादा बढ़े

wpi inflation rises due to petrol-diesel costlier fuel veggies
महंगाई की दर 14 महीने में सबसे ज्यादा, तेल-सब्जी के दाम ज्यादा बढ़े
महंगाई की दर 14 महीने में सबसे ज्यादा, तेल-सब्जी के दाम ज्यादा बढ़े
हाईलाइट
  • खुदरा महंगाई दर मई में 4.87% हो गई
  • जो जनवरी के बाद सबसे ज्यादा है।
  • थोक महंगाई दर मई में 4.43% बढ़कर पिछले 14 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है।
  • महंगाई का आकलन थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के जरिए किया जाता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में लगातार बढ़ रही महंगाई ने आम आदमी की तो मानो कमर ही तोड़ दी है। पिछले 2 महीनों में तेल, सब्जी और पेट्रोल-डीजल के दाम सबसे ज्यादा बढ़े हैं। थोक महंगाई मई में बढ़कर 4.43% हो गई। खुदरा महंगाई दर मई में 4.87% हो गई, जो जनवरी के बाद सबसे ज्यादा है। थोक महंगाई की बात करें तो वो पिछले 14 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर है। मई के आंकड़े दो दिन पहले 12 जून को जारी किए गए हैं। भारत में खुदरा महंगाई दर में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी करीब 45% है।


थोक महंगाई के आंकड़े
महंगाई का आकलन थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के जरिए किया जाता है। थोक मूल्य सूचकांक में डीजल का वेटेज 3.09% है, जबकि पेट्रोल का वेटेज 1.60% है। थोक महंगाई अप्रैल में 3.18% थी, जो मई में बढ़कर 4.43% हो गई। WPI में 435 वस्तुएं शामिल होती हैं, जिनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव के आधार पर थोक महंगाई के आंकड़े तय किए जाते हैं। थोक मूल्य सूचकांक में 435 वस्तुएं शामिल होती हैं।

खुदरा महंगाई
खुदरा महंगाई वह दर है, जो जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। यह खुदरा कीमतों के आधार पर तय की जाती है। मई में खुदरा महंगाई दर 4.87% दर्ज की गई थी, जो जनवरी के बाद सबसे ज्यादा रही। जनवरी में ये 5.07% थी। खुदरा महंगाई पर भी खाने-पीने का सामान ज्यादा महंगा होने से भार पड़ा है। ये नवंबर 2017 से लगातार 4% के ऊपर बनी हुई है। मई के आंकड़े दो दिन पहले 12 जून को जारी किए गए हैं। भारत में खुदरा महंगाई दर में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी करीब 45% है।

अर्थव्यवस्था पर महंगाई का असर
महंगाई के बढ़ने या घटने से अर्थव्यवस्था और सरकारी नीतियों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। खुदरा महंगाई दर सीधे आम आदमी से जुड़ी हुई होती है, इसलिए रिजर्व बैंक ब्याज दरों की समीक्षा में खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। हाल ही में आरबीआई ने 6 जून की समीक्षा बैठक में महंगाई पर चिंता जताते हुए रेपो रेट 0.25% बढ़ाने का फैसला लिया।

1. एक महीने में ईंधन और बिजली 3.37% महंगे

 

2. लगातार दूसरे महीने इजाफा

 

Created On :   14 Jun 2018 12:12 PM GMT

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