राजस्थान: 21 साल के मयंक ने रचा इतिहास, बने देश के सबसे कम उम्र के जज

21 years Mayank of Rajasthan created history, became the youngest judge of the country
राजस्थान: 21 साल के मयंक ने रचा इतिहास, बने देश के सबसे कम उम्र के जज
राजस्थान: 21 साल के मयंक ने रचा इतिहास, बने देश के सबसे कम उम्र के जज

डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान की राजधानी और गुलाबी शहर के नाम से प्रसिद्ध जयपुर के मयंक प्रताप सिंह ने जज बनकर देश के पन्नों पर नया इतिहास रच दिया है। मयंक ने यह मुकाम महज 21 साल की उम्र में ही हासिल किया है। साथ ही वह भारत के सबसे कम उम्र वाले जज भी बन गए हैं। उन्होंने राजस्थान न्यायिक सेवा की साल 2018 की परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया है और बड़ी बात यह है कि मयंक का इस परीक्षा के लिए पहला ही अटैम्प था। उन्होंने बताया कि "मैं हमेशा से ही समाज में न्यायाधीशों को मिलने वाले सम्मान और महत्व के चलते न्यायिक सेवाओं की तरफ आकर्षित हुआ था।"

 

 

बता दें कि साल 2018 तक न्यायिक सेवा परिक्षाओं में बैठने की उम्र 23 साल की थी, जिसे साल 2019 में राजस्थान हाई कोर्ट ने घटाकर 21 साल कर दिया था। मयंक ने बताया कि वह परीक्षा में बैठने की आयुसीमा घटाने के लिए खुद को भाग्यशाली समझते हैं। उन्होंने कहा कि "मैंने साल 2014 में LLB की पढ़ाई के लिए राजस्थान यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था, जो इस साल खत्म हो गया।"

प्रतिदिन 12 घंटे की पढ़ाई

मयंक ने बताया कि यहां तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि उनकी मेहनत का नतीजा इतना बेहतर आएगा। उन्होंने बताया कि "मैं फाइनल ईयर में था, तब से ही मैंने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। इसके लिए मैंने मन लगाकर हर दिन 11 से 12 घंटे तक पढ़ाई की।" उनका उद्देश्य था कि वह परीक्षा शुरू होने से पहले ही अपना सिलेबस खत्म कर दें। इसके अलावा जज बनने का मुकाम हासिल करने के बाद मयंक का कहना है कि वह अब इस मौके से कम समय में काफी कुछ चीजें सीख सकेंगे।

ऐसे हुए प्रेरित

जज बनने के लिए मयंक को अदालतों में पेंडिंग पड़े मामलों से प्रेरणा मिली। उन्होंने बताया कि जब वह कक्षा 12वीं में थे तो उन्हें लगता था कि समाज में ज्यूडिशरी की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण और अदालतों में बहुत अधिक मामले पेंडिंग हैं। उन्होंने कहा कि "मैं लोगों को न्याय देने के लिए अपना योगदान देना चाहता था, शायद यही मेरी प्रेरणा बनी।" उन्होंने बताया कि कम उम्र में सेलेक्ट होने की वजह से उन्हें अपनी सेवाएं देने का लंबा समय मिलेगा और वह राजस्थान ज्यूडिशरी के लिए बेहतर साबित होंगे।

सोशल वर्क है पसंद

21 वर्षीय मयंक की रुचि सोशल वर्क यानी समाज में अपनी सेवा देने में ज्यादा है और जब उन्हें फ्री टाइम मिलता है तो वह सोशल वर्क में अपना समय देते हैं। इसके साथ उन्होंने कहा कि "मैं बच्चों और महिलाओं के लिए कुछ अच्छा करने का प्रयास करता हूं।" इसके अलावा उन्हें किताबें पढ़ना और खासकर उपन्यास पढ़ना काफी पसंद है।

ईमानदारी और निष्पक्षता जरूरी

जब मयंक से जज बनने के लिए मापदंडों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि "किसी भी पब्लिक सर्वेंट के लिए ईमानदारी बहुत जरूरी होती है क्योंकि ईमानदारी के कारण ही लोगों का न्यायपालिका में विश्वास बना रहता है।" इसके अलावा उन्होंने भेदभाव से दूर रहने की बात भी कही। मयंक ने बताया कि "जज के लिए निष्पक्ष होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि जजों को निष्पक्ष रूप से ही सभी तथ्यों को देखने और सुनने के बाद अपना फैसला देना होता है।"

भ्रष्टाचार से दूरी

मयंक ने बताया कि आज के समय में ऐसे बहुत से कारक हैं, जो पब्लिक सर्वेंट को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम इन सभी कारकों से दूरी बनाएं। वहीं जजमेंट पर उन्होंने कहा कि "हमें अपना फैसला सुनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम सिर्फ जज हैं और कोर्ट रूम तक ही सीमित हैं।"

Created On :   22 Nov 2019 10:27 AM GMT

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