कृपालु महिला महाविद्यालय: छात्राओं ने विश्वविद्यालय में लहराया परचम

छात्राओं ने विश्वविद्यालय में लहराया परचम

प्रतापगढ़ (कुंडा)। शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की मशाल थामे हुए जगद्गुरु कृपालु शिक्षण संस्थान ने एक बार फिर इतिहास दोहरा दिया। सत्र 2024–25 की विश्वविद्यालयीय परीक्षाओं में कृपालु महिला महाविद्यालय की तीन छात्राओं ने शीर्ष स्थान प्राप्त कर महाविद्यालय ही नहीं, पूरे प्रतापगढ़ जनपद का नाम रोशन कर दिया।

गौरवशाली उपलब्धियाँ

विश्वविद्यालय)इलाहाबाद राज्य यूनिवर्सिटी [प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) विश्वविद्यालय] के आठवें दीक्षांत समरोह में कृपालु महिला महाविद्यालय का बोलबाला रहा। इस वर्ष ऋषिका शुक्ला ने बी.एससी. में प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक हासिल किया।

असरा नसीम सिद्दीकी ने बी.ए. में स्वर्ण पदक और यशी शुक्ला ने रजत पदक अर्जित कर महाविद्यालय को गौरवान्वित किया। इन तीनों ने न केवल अपने परिश्रम और लगन का परिचय दिया है, बल्कि यह सिद्ध कर दिखाया है कि अवसर और सही मार्गदर्शन मिलने पर ग्रामीण अंचल की बेटियां भी किसी से पीछे नहीं हैं।

अतीत की उपलब्धियों की झलक

इससे पूर्व भी कृपालु महिला महाविद्यालय की छात्राएं लगातार उल्लेखनीय सफलताएं अर्जित करती रही हैं। सत्र 2023–24 में सात छात्राओं ने विश्वविद्यालय की शीर्ष दस की सूची में स्थान प्राप्त किया। मुन्तहा आफरीन ने बी.एससी. में स्वर्ण पदक पाया, एम.ए. हिन्दी साहित्य में प्रज्ञा पाण्डेय ने रजत पदक, और आकृति मिश्रा ने कांस्य पदक हासिल किया। इसी तरह शिवानी साहू, किरण त्रिपाठी, मोनिका, साहू और प्राची मिश्रा ने क्रमशः पांचवां, छठा, सातवां और आठवां स्थान प्राप्त कर संस्थान की शैक्षणिक गुणवत्ता को प्रमाणित किया।

पिछले वर्षों में भी कृपालु महिला महाविद्यालय की स्नातकों ने विश्वविद्यालयीय और राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की है। कई छात्राओं ने यूजीसी-नेट, गेट और आईआईटी-जैम जैसी कठिन परीक्षाओं को पास किया, जबकि कुछ ने शोध, अध्यापन, और प्रशासनिक सेवाओं में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।


जगद्गुरु कृपालु शिक्षण संस्थान बेटियों के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं।


जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की प्रेरणा

इन उपलब्धियों के पीछे है जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की दूरदृष्टि और निःस्वार्थ सेवा भावना। उन्होंने प्रतापगढ़ के कुंडा क्षेत्र को अपनी सेवा का केंद्र बनाकर समाज में शिक्षा और संस्कार का दीप जलाया। उनके मार्गदर्शन में तीन विशिष्ट संस्थान स्थापित हुए—

1. कृपालु बालिका प्राइमरी स्कूल (2008 में स्थापित) – नर्सरी से कक्षा 5 तक की छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा, यूनिफॉर्म, शिक्षण सामग्री, और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराता है।

2. कृपालु बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज (1978 में स्थापित) – कक्षा 6 से 12 तक की शिक्षा प्रदान करने वाला यह विद्यालय क्षेत्र में माध्यमिक शिक्षा का आधारस्तंभ है।

3. कृपालु महिला महाविद्यालय (1998 में स्थापित) – स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर निःशुल्क उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने वाला डिग्री कॉलेज,, जिसने हजारों बालिकाओं का भविष्य संवारा है।

जगद्गुरु कृपालु शिक्षण संस्थान की विशेषता है कि यहाँ शिक्षा के साथ-साथ यूनिफॉर्म, स्टेशनरी, साइकिल, कंबल, आदि आवश्यक वस्तुएं भी पूरी तरह नि:शुल्क दी जाती हैं। यह संस्थान केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि बेटियों के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।

महिला शिक्षा का नया अध्याय

कभी जिस क्षेत्र में बेटियों को स्कूल भेजना भी परिवारों को बोझ लगता था, वहीं आज वही बेटियां डॉक्टर, वैज्ञानिक, अध्यापक, और प्रशासनिक सेवाओं में महत्त्वपूर्ण योगदान देकर समाज की दिशा बदल रही हैं। जगद्गुरु कृपालु शिक्षण संस्थान की छात्राएं आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की मिसाल बन चुकी हैं।

जगद्गुरु कृपालु परिषत् (JKP) के अधीन संचालित ये संस्थान धर्म, जाति, और संप्रदाय से ऊपर उठकर केवल मानवता के कल्याण हेतु कार्यरत हैं। यही कारण है कि आज यहां की छात्राएं न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

नेतृत्व और प्रेरणा

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा स्थापित जगद्गुरु कृपालु शिक्षण संस्थान उनकी सुपुत्रियों सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी, सुश्री डॉ. श्यामा त्रिपाठी जी और सुश्री डॉ. कृष्णा त्रिपाठी जी के कुशल नेतृत्व में शिक्षा अभियान का निरंतर विस्तार कर रहा है। विश्वविद्यालयीय परीक्षाओं में लगातार मिल रही सफलताएं इस बात का प्रमाण हैं कि जगद्गुरु कृपालु जी की दूरदर्शिता आज एक सामाजिक क्रांति में बदल गयी है।

कृपालु बालिका प्राइमरी स्कूल, कृपालु बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज, और कृपालु महिला महाविद्यालय — ये तीनों संस्थान जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की प्रेरणा से महिला सशक्तिकरण के जीवंत प्रतीक के रूप में उभरे हैं।

Created On :   24 Sept 2025 1:54 PM IST

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