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Pune City News: सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी में 111 प्राध्यापक पदों की भर्ती पर विवाद

भास्कर न्यूज, पुणे। सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी द्वारा सहयोगी और सहायक प्राध्यापक के 111 पदों की भर्ती के लिए मंगलवार को विज्ञापन देकर आवेदन मांगे हैं। भर्ती प्रक्रिया को लेकर यूनिवर्सिटी विद्यार्थी संघर्ष कृति समिति ने गंभीर आपत्तियां जताई हैं और भर्ती प्रक्रिया तत्काल रोकने की मांग की है।
समिति का कहना है कि जब तक यूनिवर्सिटी में पूर्णकालिक कुलसचिव और सभी विद्या शाखाओं के डीन की नियुक्ति नहीं की जाती, तब तक किसी भी प्रकार की प्राध्यापक भर्ती पारदर्शी नहीं हो सकती। समिति अध्यक्ष राहुल ससाणे ने आरोप लगाया कि पिछले दो साल से यूनिवर्सिटी में केवल चुनाव के समय ही ऐसी विज्ञप्तियां जारी की जाती हैं, जबकि भर्ती प्रक्रिया कभी पूरी नहीं होतीं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से यूनिवर्सिटी में पूर्णकालिक कुलसचिव और अधिष्ठाता नहीं हैं, जिससे पूरी यूनिवर्सिटी में प्रभारी व्यवस्था के नाम पर भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
प्रभारी कुलसचिव ने कैसे बुला लिए आवेदन?
ससाणे के अनुसार पिछले एक साल में एस्टेट विभाग में 300 करोड़ रुपए, टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट और यूनिवर्सिटी की जमा राशि में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। कई मामलों में जांच समितियां कार्यरत हैं, जबकि कुछ प्रकरणों का फॉरेंसिक ऑडिट चल रहा है। इतना ही नहीं, यह भी चर्चा है कि एक प्राध्यापक पद के लिए एक करोड़ रुपए तक की बोली लगाई जा रही है। समिति ने यह भी सवाल उठाया है कि जब कुलसचिव प्रभारी हैं और स्थायी रूप से नियुक्त नहीं हैं, तो वे इस भर्ती विज्ञापन को जारी करने के पात्र कैसे हैं? साथ ही, आरक्षण की प्रभावी क्रियान्वयन प्रक्रिया में भी गड़बड़ी की शिकायतें सामने आई हैं। समिति ने यह भी बताया कि यूनिवर्सिटी द्वारा हाल ही में जारी किए गए 52 कांट्रेक्ट आधारित पदों के विज्ञापन और उनके इंटरव्यू का परिणाम अब तक घोषित नहीं किया गया है। ससाणे ने मांग की कि राज्यपाल हस्तक्षेप कर यूनिवर्सिटी प्रशासन को स्थायी नियुक्तियां करने के बाद ही भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ाने के निर्देश दें। उन्होंने यह भी बताया कि शिवाजी यूनिवर्सिटी, कोल्हापुर में भी यही स्थिति बनी हुई है, जहा आज तक पूर्णकालिक कुलगुरु नियुक्त नहीं किए गए हैं। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार और प्रशासन ने इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन और न्यायालयीन मार्ग अपनाया जाएगा।
Created On :   7 Nov 2025 2:03 PM IST












