Pune City News: रेकॉर्ड पर आज भी सरकार के नाम है कोरेगांव की 40 एकड़ जमीन

रेकॉर्ड पर आज भी सरकार के नाम है कोरेगांव की 40 एकड़ जमीन
मामला सिर्फ स्टांप शुल्क चोरी का नहीं, सरकारी जमीन की अवैध बिक्री का भी

भास्कर न्यूज, पुणे। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बड़े बेटे पार्थ पवार के जमीन घोटाले मामले में अहम जानकारी सामने आई है। शहर के कोरेगांव पार्क जैसे प्रीमियम इलाके की यह जमीन पहले राज्य सरकार की थी। इसे बेचने का अधिकार किसी को नहीं था। सरकार ने 1988 में केंद्र सरकार की संस्था बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया को उक्त जमीन 50 साल के पट्टे पर दी थी। जमीन का मालिकाना हक बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पास है, जबकि जमीन के दस्तावेज महाराष्ट्र सरकार के नाम पर हैं। इसलिए मामला सिर्फ स्टांप शुल्क की चोरी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सरकारी जमीन की अवैध बिक्री का भी है। ऐसे में पार्थ पवार के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हो सकता है। इसलिए मामले ने नया मोड़ ले लिया है।

मुंढवा कोरेगांव पार्क स्थित 40 एकड़ जमीन पार्थ पवार ने 20 मई-25 में खरीदी है। आरोप है कि पार्थ पवार की कंपनी ने अमेडिया ने 1800 करोड़ रुपए की जमीन सिर्फ 300 करोड़ रुपए में खरीदी और उसके लिए सिर्फ 500 रुपए का स्टांप ड्यूटी भरी। अधिकारियों ने दावा किया कि यह सारी जमीन राज्य सरकार की है। इसे बेचने का अधिकार किसी को नहीं है। दरअसल, सरकार ने यह जमीन 1988 में केंद्र सरकार की संस्था बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया को 50 साल के पट्टे पर दी है। फिलहाल जमीन का मालिकाना हक बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पास है। दस्तावेज भी महाराष्ट्र सरकार के नाम पर हैं। जमीन का असली मालिक होने का दावा करने वाले लोगों का दस्तावेजों में तो जिक्र है, लेकिन सरकार उनसे पहले ही यह जमीन ले चुकी है। अफसरों ने बताया कि जमीन मालिकों का मालिकाना हक से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए यह मामला स्टांप शुल्क चोरी के साथ सरकारी जमीन की अवैध बिक्री का भी है।

आईटी पार्क के नाम पर ली 20 करोड़ की छूट

सूत्रों ने दावा किया कि उक्त जमीन का मालिकाना हक पहले मुंबई सरकार के नाम पर था। बाद में यह 7/12 हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। पांच साल पहले शहर में सभी 7/12 बंद करके प्रॉपर्टी कार्ड शुरू किए गए थे। उसी दौरान जमीन के अभिलेखों में छेडछाड़ करके कुछ बदलाव किए गए। मूल अभिलेख पर अलग और संपत्ति कार्ड पर अलग नाम दर्ज किए गए। दस्तावेजों में जिन जमिन मालिकों का जिक्र है, उन्होंने इसकी पावर ऑफ अटॉर्नी शीतल तेजवानी को दे दी। इस आधार पर शीतल तेजवानी से पार्थ पवार की कंपनी ने यह जमीन 300 करोड़ रुपए में खरीदी है। तेजवानी ने बिना किसी अधिकार के सरकारी जमीन बेची है और पार्थ पवार ने उसे खरीद लिया। पार्थ पवार ने जमीन पर आईटी पार्क बनाने की बात कहकर 20 करोड़ की स्टांप ड्यूटी में छूट ली है। मामले में पार्थ पवार के अलावा जमीन को निजी बताकर बेचने वाली शीतल तेजवानी पर भी मामला दर्ज हो सकता है।

Created On :   7 Nov 2025 4:35 PM IST

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