Pune City News: 50 लाख के आबादी वाले शहर में कैंसर का एक भी सरकारी अस्पताल नहीं

50 लाख के आबादी वाले शहर में कैंसर का एक भी सरकारी अस्पताल नहीं
अस्पताल बनाने के लिए नहीं मिल रही जगह

भास्कर न्यूज, पुणे। 50 लाख की आबादी वाले और राज्य के दूसरे सबसे बड़े शहर पुणे में कैंसर का एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है। शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल ससून में महीनेभर में कैंसर के औसतन 100 से 125 मरीज इलाज करवाने आते हैं। कुछ लोग निजी अस्पतालों में भी इलाज करवाते हैं। ससून अस्पताल अब जरूर कैंसर अस्पताल बनाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन फिलहाल तो उसके लिए जगह नहीं मिल पा रही है। कई बार अस्पताल के लिए प्रस्तावित जमीन बदलना पड़ी है। कभी औंध में कभी येरवड़ा में तो कभी ससून अस्पताल के बाजू में जगह देखी गई, लेकिन अंतिम फैसला अब तक नहीं हो सका है। इससे अस्पताल बनाने का प्रोजेक्ट उलझता जा रहा है। हाल ही में बारामती कॉलेज में नया कैंसर अस्पताल बनाने की मंजूरी मिली है, लेकिन उसे बनने में भी समय लगेगा।

निजी अस्पतालों में वसूलते हैं कई गुना राशि

जानकारों का कहना है कि बारामती में कैंसर अस्पताल बनना अच्छी बात है, पर पुणे के मरीज शहर से 100 किमी दूर कैसे जाएंगे, यह सोचने वाली बात है। निजी अस्पतालों में जहां कैंसर से संबंधित पेट स्कैन मशीन से एक बार जांच कराने में 20 से 25 हजार रुपए तक की राशि खर्च हो जाती है, वहीं सरकारी अस्पताल में यह जांच महज तीन हजार रुपए में हो जाती है। इस वजह से गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों के लिए सरकारी कैंसर अस्पताल में इलाज करवाना ज्यादा अच्छा है। पुणे में ऐसी कोई सरकारी सुविधा नहीं होने से मरीज या तो महंगा इलाज कराने को मजबूर हैं या उन्हें किसी अन्य शहर में जाना पड़ता है।

जितनी देर, उतना महंगा इलाज

विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज समय पर करवाना पड़ता है। अगर सरकारी अस्पताल की कोई आधुनिक मशीन बंद हो तो मरीज को निजी अस्पताल में इलाज करवाना पड़ता है। निजी अस्पताल में यदि कैंसर की तीसरी स्टेज का मरीज इलाज कराने जाए, तो उसे कम से कम 20 से 25 लाख रुपए तक का खर्च करना पड़ता है। सरकारी अस्पताल के अभाव में यही तकलीफ और आर्थिक बोझ पुणे और आसपास के कैंसर मरीजों को भुगतना पड़ रही है।

Created On :   7 Nov 2025 4:35 PM IST

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