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Pimpri-Chinchwad News: हिंदी अनिवार्यता खत्म, अब तीसरी भाषा के रूप में विकल्प की आज़ादी - सीएम फडणवीस

- किसी भी भाषा को चुनने वाले 20 छात्र होंगे तो उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षक उपलब्ध कराएगी सरकार
- अब तीसरी भाषा के रूप में विकल्प की आज़ादी
- अंग्रेजी का पुरस्कार और भारतीय भाषाओँ का तिरस्कार उचित नहीं
Pimpri-Chinchwad News. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि पहले हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया था, लेकिन अब यह बाध्यता हटा दी गई है। तीसरी भाषा के रूप में कोई भी भारतीय भाषा चुनी जा सकती है। मराठी महाराष्ट्र की मातृभाषा है, इसे अनिवार्य रखा गया है। अंग्रेज़ी व्यावसायिक और वैश्विक संवाद की भाषा है। लेकिन तीसरी भाषा के तौर पर अब बाध्यता नहीं, चयन का अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी भाषा को चुनने वाले छात्रों की संख्या 20 या उससे अधिक होगी तो सरकार शिक्षक उपलब्ध कराएगी या ऑनलाइन प्रशिक्षण का प्रबंध करेगी। वे मनपा और पुलिस आयुक्तालय की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण, भूमिपूजन एवं उद्घाटन समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
अंग्रेजी का पुरस्कार और भारतीय भाषाओँ का तिरस्कार उचित नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है। अब इंजीनियरिंग, एमबीए और मेडिकल की पढ़ाई मराठी में भी की जा सकती है, जिससे मराठी को ‘ज्ञानभाषा’ और ‘वैश्विक भाषा’ बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि हम सब अंग्रेजी का पुरस्कार और भारतीय भाषाओं का तिरस्कार कर रहे हैं, यह ठीक नहीं है। भारतीय भाषा अंग्रेजी से बेहतर हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने मराठी को ज्ञानभाषा बनाने का रास्ता आसान बनाने का महत्वपूर्ण काम किया है। नई नीति ने मराठी को ‘ज्ञानभाषा’, ‘अर्थनीति की भाषा’ और ‘वैश्विक संवाद की भाषा’ बनाने का जो साहस दिखाया है, उसे महाराष्ट्र सरकार ने पूरी तरह स्वीकार किया है। इसलिए ऐसे बेवजह विवाद खड़ा करना उचित नहीं है।
सिर्फ महाराष्ट्र दो भाषा के सूत्र पर कैसे चल सकता है
फडणवीस ने कहा कि राज ठाकरे ने तीसरी भाषा न लादने की मांग की है। मगर केंद्र सरकार ने विचार पूर्वक नई शिक्षा नीति में तीन भाषा का सूत्र तय किया गया है, पूरे देश में इसे स्वीकार किया गया है। फिर सिर्फ महाराष्ट्र दो भाषा के सूत्र पर कैसे चल सकता है। तमिलनाडु सरकार ने तीन भाषा के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया लेकिन अदालत ने उसे मान्य नहीं किया। अगर छात्रों को तीसरी भारतीय भाषा सीखने को मिलती हो तो गलत क्या है। अगर मातृभाषा को ताक पर रखा गया होता तो गलत होता। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति केवल केंद्र सरकार ने तैयार नहीं की। देशभर के विशेषज्ञों ने मिलकर इसे बनाया है।
मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं, भारत का रुख साफ़
मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान के साथ चल रही बातचीत पर भारत की नीति को लेकर कहा कि जब हमने उनके हवाई अड्डे तहस-नहस किए, तभी उन्हें संघर्ष विराम का ख्याल आया। भारत ने पहले दिन से साफ कहा है – हम किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं मानते। पाकिस्तान को बात करनी है तो सीधे भारत से करे।
शरद पवार पर भी कसा तंज
हाल ही में भाजपा में शामिल हुए नेता सुधाकर बड़गुजर पर लगे पुराने आरोपों को लेकर फडणवीस ने कहा कि उन मामलों की जांच में कोई अपराध सिद्ध नहीं हुआ। जब उन्हें क्लीन चिट मिली वे उस समय भाजपा में नहीं थे। जो भी भाजपा में आता है, उसे पार्टी की नीति और अनुशासन का पालन करना होगा। हमने बड़गुजर के मामले में सभी पहलुओं की जांच की। उनके प्रवेश की जिम्मेदारी गिरीश महाजन को सौंपी गई थी। चंद्रशेखर बावनकुले को कुछ नहीं पता था। बाद में उन्होंने खुद नासिक में जाकर बड़गुजर के प्रवेश की भूमिका सभी को समझाई। कम्युनिकेशन गैप हो सकता है लेकिन विरोध किसी का नहीं है। राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार के बयान, ‘भाजपा के साथ जाने वालों का समर्थन नहीं’ पर मुख्यमंत्री ने ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ का अपना डायलॉग दोहराया।
Created On :   18 Jun 2025 9:03 PM IST