महाराष्ट्र: अशोक चव्हाण समेत सभी छह उम्मीदवार निर्विरोध चुने, शिंदे-उद्धव का हुआ सामना फेरा मुंह

अशोक चव्हाण समेत सभी छह उम्मीदवार निर्विरोध चुने, शिंदे-उद्धव का हुआ सामना फेरा मुंह
  • राज्यसभा चुनाव के सभी छह उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना
  • पहली बार हुआ शिंदे-उद्धव का आमना-सामना हुआ
  • एक दूसरे से फेर लिया मुंह

डिजिटल डेस्क, मुंबई अमित कुमार। महाराष्ट्र से राज्यसभा चुनाव के सभी छह उम्मीदवारों को मंगलवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया। जिनमें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवडा शामिल हैं। निर्विरोध चुने जाने वालों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन, शिवसेना (शिंदे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित) का एक-एक प्रत्याशी शामिल है। जबकि विपक्षी कांग्रेस के उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे भी निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए हैं। भाजपा उम्मीदवारों में चव्हाण, पूर्व विधायक मेधा कुलकर्णी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता अजित गोपछडे शामिल हैं। शिवसेना (शिंदे) से कांग्रेस के पूर्व सांसद मिलिंद देवरा और राकांपा (अजित) के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।

पहली बार हुआ शिंदे-उद्धव का आमना-सामना, एक दूसरे से फेर लिया मुंह

शिवसेना में हुए विद्रोह के लगभग 20 महीने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का मंगलवार को विधानमंडल के विशेष सत्र के दौरान एक दूसरे से आमना-सामना हुआ। इस दौरान दोनों के बीच तल्खी साफ नजर आई। दोनों में दुआ- सलाम भी नहीं हुआ। दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखना भी गवारा नहीं किया। दरअसल, मंगलवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के विशेष अधिवेशन के दौरान विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद में भी मराठा समाज को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी विधेयक पारित हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री शिंदे और शिवसेना (उद्धव) के विधायक तथा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव सदन में आमने-सामने बैठे नजर आए। लेकिन दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखने से परहेज किया। हालांकि मुख्यमंत्री ने मराठा आरक्षण विधेयक पेश करते हुए उद्धव के सामने उनके पिता तथा शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहेब ठाकरे का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री ने अप्रत्यक्ष रूप से उद्धव पर भी निशाना साधा। कहा कि मैं शिवसेना की दशहरा रैली में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए वचन दिया था। बालासाहेब कहते थे कि किसी को वचन देने से पहले 100 बार विचार करिए। जब किसी को वचन दीजिए तब अपने वादे से कभी मत मुकरिए। इसलिए मैंने मराठा समाज को आरक्षण देने के अपने वचन को पूरा किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने जब भी कोई फैसला लिया तो काफी सोच विचार कर निर्णय लिया है। भले ही इसके लिए मुझे कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। मैंने कभी इसकी परवाह नहीं की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं वचन देकर यूटर्न लेने वाला नहीं हूं। मेरे शब्दकोष में यूटर्न नहीं है। मुझे बालासाहेब और आनंद दिघे ने वचन निभाना सिखाया है। मैं उन्हीं के सिद्धांतों पर काम करता हूं।

दूसरी ओर उद्धव मुख्यमंत्री के भाषण के दौरान अपने बगल में बैठे कांग्रेस सदस्य सतेज पाटील से बातचीत करते नजर आए। इससे पहले शिंदे ने 20 जून 2022 की रात को बगावत कर लिया था। शिंदे के बगावत के कारण महाविकास आघाड़ी सरकार के पास बहुमत न होने पर उद्धव ने 29 जून 2022 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद शिंदे 30 जून 2022 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद शिंदे सरकार ने मुंबई और नागपुर में मिलाकर विधानमंडल का चार अधिवेशन आयोजित किया। नागपुर के शीतकालीन सत्र के दौरान उद्धव ने सदन में एक बार भाषण भी किया था। लेकिन कभी ऐसा मौका नहीं आया था तब मुख्यमंत्री और उद्धव एक-साथ सदन में बैठे हो।

फडणवीस ने उद्धव को किया नमस्कार

विधान परिषद के सदन का कामकाज शुरू होने से कुछ मिनट पहले उपमुख्यमंत्री फडणवीस भी सदन में पहुंचे। फडणवीस ने हाथ जोड़कर कहा- उद्धवजी नमस्कार। उद्धव ने भी उनके अभिवादन का जवाब दिया। फडणवीस के आने के पहले उद्धव सदन में पहुंचे थे। उद्धव का विपक्ष के विधायकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। सत्तारूढ़ दल भाजपा की ओर से प्रदेश के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने भी उद्धव को हाथ जोड़कर नमस्ते किया। उद्धव के सदन में आने के बाद भाजपा के विधायक राजहंस सिंह ने उनके आसन के पास जाकर उनसे मुलाकात की। इस दौरान उद्धव ने उनसे कुछ हंसी मजाक भी किया।

Created On :   20 Feb 2024 4:00 PM GMT

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