आंगनवाड़ी के पौष्टिक आहार का ठेका ठेकेदारों को दिए जाने को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती

आंगनवाड़ी के पौष्टिक आहार का ठेका ठेकेदारों को दिए जाने को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती
  • अदालत में मुंबई समेत विभिन्न जिलों से 6 याचिकाएं दाखिल
  • अदालत का राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश
  • याचिकाकर्ताओं को भी रिज्वाइंडर फाइल करने को कहा

डिजिटल डेस्क, मुंबई, शीतला सिंह. राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आंगनवाडी के पौष्टिक आहार का ठेका ठेकेदारों को दिए जाने को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। नारी निकेतन महिला मंडल समेत विभिन्न समूहों द्वारा अदालत में 6 याचिकाएं दायर की गई है. अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। जबकि याचिकाकर्ताओं को भी रिज्वाइंडर फाइल करने को कहा गया है। मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति आरिफ एस.डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को नारी निकेतन महिला मंडल की ओर से वकील ज्ञानेश्वर बागुल की दायर याचिका समेत 6 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाओं में राज्य के महिला बाल विकास विभाग की ओर से आंगनवाड़ी के माध्यम से बच्चों को पौष्टिक आहार का दिए जाने का ठेका कुछ ठेकेदारों को दिए जाने पर सवाल उठाए गए हैं। राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत इस साल 31 मार्च बच्चों के पौष्टिक आहार के लिए को केंद्रीय निविदा को कमिश्नरेट स्तर पर जारी की। यह निविदा सुप्रीम कोर्ट के वैष्णवरानी महिला बचत गट के फैसले के खिलाफ है। इसके लिए राज्य को 6 भागों में बांटा गया है, जिसमें 553 प्रोजेक्ट एवं 1 लाख 10 हजार 446 आंगनवाड़ी हैं। यह निविदा लगभग एक हजार करोड़ रुपए की है। निविदा में जो शर्तें लगाई गई हैं, उसमें इसका ठेका 6 ठेकेदारों को ही मिलेगा।

याचिकाकर्ता का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट में 7 अक्टूबर 2014 को निर्देश दिया था कि आंगनवाडी के पौष्टिक आहार का ठेका ठेकेदारों को नहीं दिया जाना चाहिए। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों, ग्राम स्तरीय संगठनों और महिला मंडल को पौष्टिक आहार देने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार का 28 अक्टूबर 2005 का एक अध्यादेश है, जिसमें कहा गया है कि पौष्टिक आहार के वितरण की जिम्मेदारी महिला मंडल और स्वयं सहायता समूहों सौंपी जाए। सरकार के एक अध्यादेश से स्पष्ट किया गया था कि जिलाधिकारी ही खाद्य पदार्थ के वितरण का प्रमुख होगा। उसके जरिए महिला मंडल और स्थानीय स्तर पर स्वयं सहायता समूह को आंगनवाड़ी के पौष्टिक आहार के वितरण की जिम्मेदारी होगी

Created On :   25 Jun 2023 2:44 PM GMT

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