हाईकोर्ट: मराठा समाज को 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती, मराठा आरक्षण को रद्द करने का अनुरोध

मराठा समाज को 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती, मराठा आरक्षण को रद्द करने का अनुरोध
  • राज्य सरकार ने विधेयक पारित कर मराठा समुदाय को 10 फीसदी दिया है आरक्षण
  • मराठा समाज को 10 फीसदी आरक्षण को हाई कोर्ट में चुनौती
  • याचिका में मराठा आरक्षण को रद्द करने का अनुरोध

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर राज्य सरकार द्वारा मराठा समाज को दिए गए 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती दी गयी है। याचिका में मराठा आरक्षण को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता वकील गुणरत्न सदावर्ते, डॉ. जयश्री पाटिल और राजाराम पाटील ने याचिका में मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण को अवैध बताया है। मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटील और उनके समर्थकों के महीनों के विरोध प्रदर्शन के बाद एकनाथ शिंदे सरकार ने 22 फरवरी को विशेष सत्र एक विधेयक पारित किया है, जिसमें मराठा समुदाय को अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इस प्रकार के आरक्षण को शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन माना जा रहा है। सदावर्ते की याचिका में दावा किया गया कि राज्य सरकार किसी भी समुदाय को आरक्षण नहीं दे सकती। आरक्षण में श्रेणियां बनाने का अधिकार राज्य सरकार को है। उसे खुले में श्रेणियां बनाने या 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार ने संविधान की धारा 125 और 142 का उल्लंघन किया है। मराठा समाज महाराष्ट्र की कुल आबादी का 28 प्रतिशत हैं। बड़ी संख्या में जातियों और समूहों को पहले से ही आरक्षित श्रेणी में रखा गया है, उन्हें कुल मिलाकर लगभग 52 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। राज्य में वर्तमान में मौजूद 52 प्रतिशत आरक्षण में से अनुसूचित जाति 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 7 प्रतिशत, ओबीसी 19 प्रतिशत, विशेष पिछड़ा वर्ग 2 प्रतिशत, विमुक्त जाति 3 प्रतिशत, घुमंतू जनजाति ( बी) 2.5 प्रतिशत, घुमंतू जनजाति (सी) धनगर 3.5 प्रतिशत और घुमंतू जनजाति (डी) वंजारी 2 प्रतिशत को दिया गया।

हाईकोर्ट ने राज्य चैरिटी कमीशन के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर लगाए जाने पर 5 मार्च तक लगाई रोक

बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य चैरिटी कमीशन के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में लगाए जाने पर 5 मार्च तक रोक लगा दिया है। अदालत ने चैरिटी कमिश्नर की याचिका पर राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार से चैरिटी कमीशन के कर्मचारियों को सर्कुलर जारी करने पर जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई 5 मार्च को होगी। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार को चैरिटी कमिश्नर अमोघ श्यामकांत कलोटी की ओर से वकील हर्षद भडभडे की दायर याचिका और चैरिटी कमीशन के कर्मचारियों की एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग से पूछा कि चुनाव ड्यूटी पर लगाने के लिए चैरिटी कमीशन के कर्मचारियों को सर्कुलर जारी करने का किसे अधिकार है? अदालत ने इस पर जवाब मांगा है। याचिका में दावा किया गया है कि राज्य चुनाव आयोग और मुंबई के जिलाधिकारी की ओर से उन्हें (याचिकाकर्ता) राज्य चैरिटी कमीशन के अधिकारियों और कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर लगाने के लिए धमकी दी जा रही है। चैरिटी कमीशन में 94 कर्मचारियों का पद खाली है। इस समय कमीशन में 123 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। कमीशन के 36 कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी पर लगाया गया है। चुनाव आयोग और मुंबई जिला अधिकारी चैरिटी कमीशन से 16 और कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी पर लगाने की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर उन्हें धमकी भी दी जा रही है।

Created On :   1 March 2024 4:07 PM GMT

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