नवाचार: अब दोबारा कैंसर होने का जोखिम कम, टाटा अस्पताल के डॉक्टरों ने खोज निकाली दवा

अब दोबारा कैंसर होने का जोखिम कम, टाटा अस्पताल के डॉक्टरों ने खोज निकाली दवा
  • अगले तीन महीने में बाजारों में होगी उपलब्ध
  • टाटा अस्पताल के डॉक्टरों ने खोज निकाली दवा
  • अलजाइमर मरीज भी कर सकेंगे उपयोग

डिजिटल डेस्क, मुंबई. कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी कैंसर के इलाज की तीन विधियां हैं। इन उपचार विधियों से कैंसर की कोशिकाएं मर जाती हैं। लेकिन उन मृत कोशिकाओं के गुणसूत्र जो बहुत छोटे होते हैं, वे रक्त में अवशोषित हो जाते हैं और शरीर के विभिन्न अंगों तक फैल जाते हैं। जिससे उन अंगों की कोशिकाओं में कैंसर कोशिकाएं विकसित होती रहती हैं। इससे शरीर के दूसरे हिस्सों में कैंसर फिर हो जाता है। लेकिन अब मरीजों में दोबारा कैंसर होने का जोखिम कम हो जाएगा। इसके लिए टाटा मेमोरियल सेंटर के शोधकर्ताओं ने एक दवा खोज निकाली है। इन डॉक्टरों ने अंगूर के फल की छाल में पाए जानेवाले रेस्वेराट्रॉल रसायन और तांबे के संयोजन वाली एक नई दवा की खोज की है जिसके बाजारों में जून तक उपलब्ध होने की उम्मीद है।

कैंसर का इलाज अक्सर विभिन्न दुष्प्रभावों के साथ आता है। टाटा मेमोरियल सेंटर, खारघर स्थित एक्ट्रेक लेबोरेटरी के प्रसिद्ध शोधकर्ता डॉ. इंद्रनील मित्रा ने बताया कि दशक भर के उनके रिसर्च में उन्होंने पाया कि इलाज के बाद भी कई मरीजों को दोबारा कैंसर हुआ है। इसकी रोकथाम के लिए रेस्वेराट्रोल रसायन और तांबे से युक्त एक दवा का उपयोग कैंसर का इलाज करा रहे कुछ रोगियों पर करना शुरू किया। जिसका सकारात्मक परिणाम उन्होंने अपने रिसर्च में पाया। उन्होंने देखा कि मृत कोशिकाओं के छोटे गुण सूत्र पूरी तरह से निष्क्रिय हो गए थे।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट, पेट के कैंसर, जबड़े के कैंसर के मरीजों पर अध्ययन

शोध के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. मित्रा ने बताया कि मनुष्यों में इस नई दवा का एक छोटा सा अध्ययन बोन मैरो ट्रांसप्लांट, पेट के कैंसर, जबड़े के कैंसर से प्रभावित मरीजों पर किया गया। अध्ययन में अच्छे परिणाम सामने आए हैं। दवा निर्माता कंपनियों से संपर्क कर इस दवा का उत्पादन किया जा रहा है। यह दवा गोली के रूप में उपलब्ध होगी।

अलजाइमर मरीज भी कर सकेंगे उपयोग

डॉ. मित्रा ने बताया कि इन दवाओं में प्राकृतिक तत्व होने से इसका इस्तेमाल भविष्य में अन्य मर्ज के उपचार में भी किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि बूढ़े हो चुके लोग जवान दिखाई देने और अलजाइमर के मरीज भी इस दवा का इस्तेमाल कर सकेंगे।

बड़े पैमाने पर होगा अध्ययन

टाटा मेमोरियल अस्पताल के उपनिदेशक डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने बताया कि ओरल कैंसर के इलाज में भी इसका बड़ा फायदा देखा गया है। उन्होंने बताया कि नए संयोजनवाली दवा ने ओरल कैंसर के रोगियों में उपचार संबंधी विषाक्तता को कम कर दिया है। टाटा मेमोरियल सेंटर के पूर्व निदेशक डॉ. राजेंद्र बडवे ने कहा कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण शोध है। निकट भविष्य में इस दवा का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया जाएगा।

Created On :   26 Feb 2024 4:10 PM GMT

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