सिनर्जी समिट: डायबिटीज केवल शुगर की बीमारी नहीं, जटिल स्वास्थ्य चुनौती है, कार्डियो-रीनल–डायबिटीज विषय पर कार्यक्रम

डायबिटीज केवल शुगर की बीमारी नहीं, जटिल स्वास्थ्य चुनौती है, कार्डियो-रीनल–डायबिटीज विषय पर कार्यक्रम
  • वैज्ञानिक सत्रों में विविध प्रभावों पर जानकारी
  • समन्वय साधकर काम करने की आवश्यकता

Nagpur News. आज के दौर में डायबिटीज केवल शुगर की बीमारी नहीं रह गई है, बल्कि यह हृदय और किडनी जैसी गंभीर बीमारियों से गहराई से जुड़ी एक जटिल स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है। जीवनशैली में बदलाव, अनियमित खानपान और तनाव के कारण मधुमेह के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में समय पर सही इलाज, विभिन्न विशेषज्ञों के समन्वय और नवीन चिकित्सकीय दिशानिर्देशों की जानकारी डॉक्टरों के लिए बेहद जरूरी हो गई है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए डायबेटिक असोसिएशन ऑफ इंडिया (डीएआई) नागपुर शाखा द्वारा ‘सिनर्जी समिट: कार्डियो-रीनल–डायबिटीज’ विषय पर एक विशेष शैक्षणिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मधुमेह के साथ होने वाली हृदय एवं किडनी संबंधी बीमारियों के समन्वित और बहुविषयक उपचार पर विशेष जोर दिया गया।

वैज्ञानिक सत्रों में विविध प्रभावों पर जानकारी

‘सिनर्जी समिट: कार्डियो-रीनल–डायबिटीज’ में नागपुर व आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में फिजिशियन, डायबेटोलॉजिस्ट, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट ने भाग लिया। वैज्ञानिक सत्रों का संचालन डॉ. गुंजन दलाल और डॉ. योशिता तलमले ने किया। सत्र में डॉ. शंकर खोब्रागडे, डॉ. रवि वाघमारे और डॉ. संदीप खारकर ने उपस्थिति दर्ज करायी।शैक्षणिक चर्चाओं की शुरुआत डॉ. आर. बी. कलमकर द्वारा प्रस्तुत टाइप वन डायबिटीज मेलिटस के एक क्लिनिकल केस से हुई। इसके बाद डॉ. निर्मल जैसवाल ने डायबेटिक कीटोएसिडोसिस में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और ऑस्मोलैलिटी पर व्याख्यान देते हुए इसके न्यूरोलॉजिकल प्रभावों को समझाया।

समन्वय साधकर काम करने की आवश्यकता

डीएआई नागपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ. नितीन वडस्कर ने कहा कि मधुमेह के समग्र उपचार के लिए समन्वय साधकर काम करना सबसे बड़ी आवश्यकता है। इस अवसर पर हाल ही में दिवंगत वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नानक तोलानी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। डॉ. गिरीश परमार ने मधुमेह के क्लिनिकल प्रबंधन से संबंधित नवीन गाइडलाइंस पर व्याख्यान दिया। इसके बाद डॉ. सुनील अंबुलकर, डॉ. संकेत पेंडसे और डॉ. संजय जैन की सहभागिता से पैनल चर्चा हुई। सर्जरी और क्रिटिकल केयर जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में मधुमेह प्रबंधन पर आधारित एंडोक्राइनोलॉजी पैनल चर्चा में डॉ. एस. एन. देशमुख ने हिस्सा लिया।

कार्डियो-मेटाबोलिक पहलुओं पर विशेष चर्चा

डायबिटीज से जुड़े कार्डियो-मेटाबोलिक पहलुओं पर डॉ. समीर श्रीवास्तव ने मधुमेह रोगियों में हार्ट फेल्योर के आधुनिक उपचार विकल्पों पर विस्तार से जानकारी दी। डॉ. जय देशमुख के संयोजन में एचएफआरईएफ और एचएफपीईएफ से पीड़ित डायबेटिक मरीजों के उपचार पर आधारित कार्डियोलॉजी पैनल हुई। मधुमेह से होने वाले किडनी रोगों पर डॉ. रितेश कौंटिया ने डायबेटिक नेफ्रोपैथी के प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। डायबेटिक किडनी डिजीज के लिए मल्टीडिसिप्लिनरी केयर मॉडल पर आधारित नेफ्रोलॉजी पर डॉ. स्वप्ना खानझोडे ने मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिन्हें महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल द्वारा 2 क्रेडिट पॉइंट्स दिये जाएंगे। डीएआई की सचिव डॉ. पूजा जाधव ने आभार प्रदर्शन किया।

Created On :   29 Dec 2025 8:47 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story