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Nagpur News: नाबालिग के हाथों में खूनी मांजे की डोर तो अभिभावक को ~50 हजार की चोट

Nagpur News प्रतिबंधित नायलॉन मांजे की धड़ल्ले से हो रही बिक्री और इस्तेमाल को रोकने में प्रशासन की नाकामी पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कई बार नाराजगी जताई है। बार-बार आदेश देने के बावजूद कोई सकारात्मक परिणाम न दिखने पर अब कोर्ट ने सीधे सख्त दंडात्मक कार्रवाई के संकेत दिए हैं। इसके लिए केवल प्रशासन ही नहीं, बल्कि नायलॉन मांजा का उपयोगकर्ता और विक्रेता भी उतना ही जिम्मेदार है। इसी वजह से कोर्ट ने सीधा सवाल किया कि नायलॉन मांजा इस्तेमाल करने वाले वयस्क व्यक्ति पर 50 हजार रुपए का जुर्माना, नाबालिग के पास यह मांजा मिलने पर उसके अभिभावकों पर भी इतना ही जुर्माना तथा मांजा सप्लाई करने वाले और बेचने वालों पर हर कार्रवाई में ढाई लाख रुपए का जुर्माना क्यों न लगाया जाए।
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सू-मोटो जनहित याचिका : याचिका पर बुधवार को न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। संक्रांति पर नागपुर में जमकर पतंगबाजी होती है, लेकिन इस दौरान पतंग उड़ाने में नायलॉन मांजा के इस्तेमाल से अनेक दुर्घटनाएं होती हैं। सिर्फ पक्षियों के लिए ही नहीं, मनुष्यों के लिए भी इस मांजे का प्रभाव घातक है। ऐसे ही कुछ घटनाओं में नायलॉन मांजे से गर्दन कटने या फिर वाहन चालकों के साथ दुर्घटनाओं के कई मामले सामने आने पर हाई कोर्ट ने यह सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है।
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पिछली सुनवाई में भी कड़ी टिप्पणी : पिछली सुनवाई में अदालत ने प्रतिबंधित नायलॉन मांजे की धड़ल्ले से हो रही बिक्री और इस्तेमाल पर कड़ा रुख अपनाते हुए प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए पूछा था कि, -"क्या नायलॉन मांजा हवा के जरिए शहर में प्रवेश कर रहा है? मांजा इतना छोटा तो नहीं होता कि उसे जेब में छिपाकर लाया जा सके। शहर में मांजा या तो सड़क मार्ग या रेलवे से आ रहा है। जब इसके आने के रास्ते तय हैं, तो प्रशासन इसे रोकने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा रहा? साथ ही, मामले की गंभीरता को देखते हुए, कोर्ट ने जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था। बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि यह मांजा जानलेवा होने के बावजूद इस्तेमाल किया जा रहा है, यह बेहद गंभीर बात है। इस कारण अदालत ने उक्त आदेश जारी किया। न्यायालय मित्र के रूप में एड. निश्चय जाधव ने पैरवी की, जबकि राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एड. एस. एस. सन्याल ने पक्ष रखा।
Created On :   25 Dec 2025 11:26 AM IST













