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Nagpur News: नागपुर में देश का दूसरा सिकलसेल वेलनेस हब, स्क्रीनिंग से लेकर परामर्श तक सभी सुविधाएं

- स्वास्थ्य व चिकित्सा क्षेत्र में नागपुर का महत्व बढ़ा
- सीएसआर फंड अंतर्गत इस हब को शुरू करने के लिए हरी झंडी
Nagpur News स्वास्थ्य व चिकित्सा क्षेत्र में नागपुर का महत्व बढ़ चुका है। जल्द ही यहां देश का दूसरा ‘सिकलसेल वेलनेस हब’ बनने जा रहा है। यह हब शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में तैयार किया जाएगा। एक कंपनी ने अपने सीएसआर फंड अंतर्गत इस हब को शुरू करने के लिए हरी झंडी दी है। मेडिकल प्रशासन ने भी इस हब के निर्माण के लिए अपनी तरफ से स्वीकृति दी है।
दिखाई सकारात्मकता : सिकलसेल वेलनेस हब के लिए नैस्को (नेशनल एलायंस ऑफ सिकलसेल ऑर्गनाइजेशन) ने प्रयास किया है। एक कंपनी के सीएसआर फंड से इसका निर्माण किया जाएगा। हाल ही में हुई एक बैठक में नैस्को के सचिव गौतम डोंगरे व सदस्य निशांत वासे, मेडिकल के अधिष्ठाता डॉ. राज गजभिये, बालरोग विभाग प्रमुख डॉ. मनीष तिवारी समेत कंपनी के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में डॉ. गजभिये ने सकारात्मकता दिखाते हुए मेडिकल में सभी तरह का सहयोग करने का आश्वासन दिया।
पहला हब उदयपुर में : मेडिकल में तैयार होने वाला सिकलसेल वेलनेस हब अत्याधुनिक होगा। यहां स्क्रीनिंग से लेकर परामर्श तक सभी सुविधाएं होंगी। मेडिकल में इसके लिए स्वतंत्र ओपीडी कक्ष, बच्चों के लिए प्ले एरिया, अलग वार्ड में 10 बिस्तर आरक्षित व पूर्णत: एयरकुल्ड होगा। कर्मचारी व विशेषज्ञ डॉक्टरांे की टीम होगी। देश का पहला हब उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज में है।
मध्यप्रदेश से आते हैं उपचार कराने : हर साल सिकलसेल ग्रस्त 150 से अधिक बच्चों का जन्म होता है। उन्हें इसी त्रासदी के साथ जीना पड़ता है। सर्वेक्षण नहीं होने से सरकारी स्तर पर इस बीमारी का कोई प्रमाणित रिकॉर्ड नहीं है। नागपुर जिले में सिकलसेल के 1500 मरीज हैं। मेडिकल में सालाना 5000 और डागा व मेयो में 2000 मरीज दवाओं के लिए आते हैं। यह मरीज विदर्भ के नागपुर, गोंदिया, यवतमाल, वर्धा, भंडारा, अमरावती, चंद्रपुर व गड़चिरोली के होते हैं। मध्यप्रदेश के बालाघाट व छिंदवाड़ा जिले के मरीज भी बड़ी संख्या में आते हैं।
मरीजों को मिलेगी राहत : सिकलसेल से हर साल 100 से अधिक लोगों की मौत होती है। इस बीमारी से मरने वालों में 10 साल के भीतर के बच्चों का प्रमाण 60 फीसदी, 11 से 30 साल के 30 फीसदी और इसके ऊपर के 10 फीसदी होते हैं। सिकलसेल पीड़ितों में असह्य दर्द उठता है। उस समय हाइड्रोक्सीयूरिया और फॉलिक एसिड नामक दवाएं लेनी पड़ती हैं। यह दवाएं बीमारी खत्म नहीं करतीं, लेकिन दर्द से कुछ समय के लिए राहत व दर्द उठने की अवधि को लंबी करती हैं। सिकलसेल वेलनेस हब बनने से मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।
Created On :   17 Jun 2025 1:22 PM IST