- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- एनओसी न मिलने से अस्थायी...
Nagpur News: एनओसी न मिलने से अस्थायी प्राध्यापकों की भर्ती ठप, नागपुर विभाग छोड़ नियुक्ति प्रक्रिया शुरू

- 12 वर्षों से पूर्ण प्राध्यापक भर्ती नहीं
- समय-कोष्टक पूरी तरह नजरअंदाज
Nagpur News. सोमवार 16 जून से राज्य के सभी महाविद्यालय शुरू हो रहे हैं, लेकिन नागपुर सह-निदेशक विभाग को छोड़कर, महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में अस्थायी प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया मार्च से शुरू हो चुकी है। हालांकि, नागपुर उच्च शिक्षा विभाग में यह गति अत्यंत धीमी है। शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बावजूद, अस्थायी प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) अभी तक नागपुर सह-निदेशक कार्यालय से जारी नहीं हुआ है, जिसके कारण उच्च शिक्षा विभाग की पूरी भर्ती प्रक्रिया ठप हो गई है। यह आरोप महाराष्ट्र अंशकालीन प्राध्यापक संघटना और प्राध्यापक पदभरती महासंघ के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद लेंडे खैरगावकर ने लगाया है।
समय-कोष्टक पूरी तरह नजरअंदाज
सरकार के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग ने 17 अक्टूबर 2022 को एक परिपत्रक में अस्थायी प्राध्यापकों की नियुक्ति का कार्यक्रम दिया था। इसके अनुसार 15 फरवरी को कार्यभार जांच, 1 मार्च को अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग, 15 मार्च तक अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करना, 1 अप्रैल को विज्ञापन प्रकाशन, 15 अप्रैल तक आवेदनों की जांच, साक्षात्कार और उम्मीदवारों का चयन, 30 अप्रैल तक नियुक्ति आदेश जारी करना, विश्वविद्यालय की मंजूरी, और 15 जून तक तासिका प्राध्यापकों की सेवाएं उपलब्ध कराना था। लेकिन उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सरकार द्वारा दिए गए इस समय-कोष्टक को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है।
12 वर्षों से पूर्ण प्राध्यापक भर्ती नहीं
राज्य में पिछले 12 वर्षों से पूर्ण प्राध्यापक भर्ती का कोई कार्यक्रम सरकार ने नहीं दिया। आंशिक रूप से 2017 की छात्र संख्या के आधार पर 20-40 प्रतिशत पदभरती हुई थी। राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों में 16,000 से अधिक प्राध्यापक पद रिक्त हैं। गैर-अनुदानित महाविद्यालयों में प्राध्यापक भर्ती का मुद्दा भी अनसुलझा रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बार-बार राज्य के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में भर्ती के निर्देश दिए हैं। कई महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन का सामना करते समय पर्याप्त प्राध्यापक स्टाफ की कमी के कारण काफी परेशानी हुई। ऐसी स्थिति में अस्थायी प्राध्यापकों ने नैक का बोझ उठाया है।
Created On :   16 Jun 2025 7:30 PM IST