Nagpur News: नई शिक्षा नीति होगी लागू , छात्रों का तनाव कम, शिक्षकों का बढ़ेगा

नई शिक्षा नीति होगी लागू , छात्रों का तनाव कम, शिक्षकों का बढ़ेगा
  • सीबीएसई बोर्ड ने 10वीं की परीक्षा में बड़ा बदलाव किया
  • साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देनी होगी

Nagpur News सीबीएसई बोर्ड ने 10वीं की परीक्षा में बड़ा बदलाव किया है। अब 2026 से 10वीं के छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देनी होगी। इसका मकसद बच्चों का तनाव कम करना और उन्हें सुधार का एक और मौका देना है, लेकिन इस फैसले से छात्रों को फायदा मिलेगा।

शहर-जिले में 126 सीबीएसई स्कूल : नागपुर शहर और जिले में मिलाकर करीब 126 सीबीएसई स्कूल हैं। इन सभी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों पर यह नया पैटर्न लागू होगा।

अब सीबीएससी स्कूलों को साल में दो बार 10वीं बोर्ड की परीक्षा करवानी होगी, इससे परीक्षा की प्लानिंग, ड्यूटी, कॉपी जांच और रिजल्ट बनाने में ज्यादा समय लगेगा। स्कूल प्रशासन को पूरी व्यवस्था दो बार संभालनी होगी।

ट्यूशन क्लासेस का टाइम बदलेगा :अब छात्रों को पढ़ाई का समय पहले से अच्छी तरह बांटना होगा। टीचर्स और ट्यूशन क्लासेस को भी अपने टाइम-टेबल में बदलाव करना पड़ेगा, ताकि बच्चों की दोनों परीक्षाओं के लिए तैयारी हो सके।

स्कूलों के प्राचार्यों की राय , डेढ़ महीना ऐसे ही निकल जाएगा : इस फैसले पर जब नोटिस आया था, तब कई शिक्षकों ने इस पर आपत्ति जताई थी। दो बार परीक्षा होने से हमारी जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। हमें इनविजिलेशन और चेकिंग प्रोसेस में ज्यादा समय देना पड़ेगा। वैसे भी सीबीएससी 10वीं बोर्ड का परिणाम 97-98% तक रहता है और इसकी पढ़ाई उतनी कठिन भी नहीं है। इस नई नीति के कारण लगभग डेढ़ महीना ऐसे ही निकल जाएगा। बार-बार टीचर्स के पीरियड मिस होंगे और पढ़ाई प्रभावित होगी। मई का महीना, जो पहले टीचर्स की छुट्टियों के लिए माना जाता था अब शायद काम में जाएगा। हमसे जब सुझाव मांगा गया था तब भी हामी नहीं भरी थी, क्योंकि इससे शिक्षकों का तनाव निश्चित रूप से बढ़ेगा। -भारती बिजवे, चेयरपर्सन, सहोदया स्कूल कॉम्प्लेक्स, नागपुर

दूसरा मौका छात्रों के लिए अच्छा : यह पैटर्न छात्रों के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि उन्हें दो मौके मिलेंगे। इसका सीधा असर उनके मानसिक स्ट्रेस पर पड़ेगा, जो अब कम होगा। साथ ही यह एक सुधार का मौका भी है। अब अगर कोई छात्र पहली बार में असफल होता है, तो दोबारा उस विषय की परीक्षा दे सकता है। यह कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं है। आगे चलकर और भी परिवर्तन, जैसे सेमिस्टर पैटर्न आ सकते हैं, लेकिन फिलहाल यह बदलाव सकारात्मक है, हालांकि शिक्षकों को अब ज्यादा काम करना पड़ेगा। -अनमोल मुखर्जी, प्राचार्य, द जैन इंटरनेशनल स्कूल

सिलेबस कम नहीं होगा, दोनों बार पूरा पढ़ना होगा

छात्रों की परीक्षा फरवरी में ही होगी। पहले मार्च में होती थी, इसलिए समय में ज्यादा फर्क नहीं है। हम दिसंबर तक पाठ्यक्रम पूरा कर लेते हैं। दोनों परीक्षाओं में पूरा सिलेबस पूछा जाने वाला है, इसलिए पढ़ाई पर कोई छूट नहीं है, पर यह एक अच्छा अवसर उन छात्रों के लिए है, जो फेल हो जाते हैं या कम्पार्टमेंट में आते हैं। हम बच्चों को यही सलाह देंगे कि, पहली बार में ही परीक्षा पूरी तैयारी के साथ दें, ताकि दोबारा देने की नौबत ही न आए। -वंदना बिसेन, प्राचार्या, भवन्स स्कूल, आष्टी

हम तैयार हैं : यह शिक्षा नीति पूरी तरह से स्टूडेंट्स-सेंट्रिक है और इसका उद्देश्य बच्चों का तनाव कम करना है। शिक्षकों को इसकी पूर्व सूचना दी गई थी। यह बदलाव छात्रों के लिए सुविधाजनक है, हालांकि इसमें शिक्षकों पर इनविजिलेशन ड्यूटी का बोझ जरूर बढ़ेगा। स्कूलों को अब ज्यादा योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा, लेकिन हम शिक्षक इस जिम्मेदारी के लिए तैयार हैं। टीचिंग एक नोबल प्रोफेशन है और बच्चों की भलाई के लिए यह सब करना हमारी जिम्मेदारी है। -योगिता उमालकर, प्राचार्या, दिल्ली पब्लिक स्कूल, कामठी रोड

Created On :   27 Jun 2025 1:19 PM IST

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