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Nagpur News: नागपुर संभांग में 3 साल में करीब 8200 नवजात की हुई मौत

- लगातार बढ़ रहे आंकड़े चिंताजनक
- प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल
Nagpur News अभय यादव. अनेक सरकारी योजनाएं होने के बावजूद, नवजातों की मौत के आंकड़े प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि योजनाएं केवल कागजों पर अच्छी दिख सकती हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर उनका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। स्पष्ट है कि योजनाएं उन ज़रूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, जिनकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है।
राज्य में हर रोज 40 नवजातों की मौत : सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नागपुर संभाग अंतर्गत 6 जिलों में तीन साल में करीब 8200 माताओं की गोद सूनी हो गई। इनमें से किसी माता के बच्चे ने जन्म के ही बाद तो किसी ने एक माह के अंदर और किसी ने एक वर्ष के भीतर दम तोड़ दिया। सूत्रों के अनुसार, राज्य में हर रोज 40 नवजात काल के गाल में समा रहे हैं। ये आंकड़े चिंताजनक हैं।
देखभाल की कमी, जिम्मेदार कौन : सरकार द्वारा बाल संगोपन और गर्भवती महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ कितना मिल रहा है, यह एक बड़ा सवाल है। अधिकांश मौत का कारण अपर्याप्त चिकित्सा सुविधा, गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल का अभाव और नवजात शिशुओं के लिए उचित स्वास्थ्य सेवाओं की कमी बताई जा रही है। इस गंभीर मुद्दे को विधान परिषद सदस्य विधायक एड. आशीष शेलार ने उपसंचालक आरोग्य सेवा नागपुर मंडल के उपसंचालक डॉ. शशिकांत शंभरकर से जानकारी मांगी है। शंभरकर द्वारा गत 25 जून को नवजात बच्चों से लेकर एक वर्ष तक के मासूमों की मौत के यह आकंड़े मुहैया कराए गए हैं।
सरकार की जिम्मेदारी : सरकार की जिम्मेदारी है कि वह नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करे। इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे, जैसे कि स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए उचित देखभाल प्रदान करना और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना आदि।
सरकारी सहायता : आदिवासी क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं के लिए मातृत्व अनुदान योजना के तहत 400 रुपए नकद, 400 रुपए की दवाइयां सहित 800 रुपए दिए जाने की जानकारी डॉ. शंभरकर ने एड. शेलार को मुहैया कराई गई जानकारी में दी है। प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना में पहले चरण में गर्भवती माताओं को प्रत्येक को 5 हजार रुपए किस्तों में दिए जाते हैं। आशा कार्यकर्ता के मार्फत नवजात बच्चों को एचबीएनसी सेवा अंर्तगत देखभाल की जाती है।
2022-23 के दरमियान 3117 बच्चों की मौत हुई, जिसमें शून्य से 1 वर्ष तक के 1761 और शून्य से 28 दिनों तक के 1356 बच्चे शामिल हैं।
2023-24 में 2723 बच्चों की मौत हुई, जिसमें शून्य से 1 वर्ष के 1532 और शून्य से 28 दिन के 1191 नवजात शामिल हैं।
2024-2025 मई के दरमियान 2339 बच्चों ने दम तोड़ दिया, जिसमें शून्य से 1 वर्ष के 1318 व शून्य से 28 दिन के 1021 बच्चे शामिल थे।
Created On :   27 Jun 2025 11:56 AM IST