कथा कथन: 93000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण अविस्मरणीय रोमांचकारी अनुभव था

93000  पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण अविस्मरणीय रोमांचकारी अनुभव था
  • स्क्वाड्रन लीडर पुष्प कुमार वैद्य ने बताईं 1971 के युद्ध की बातें
  • उस जमाने के रोमांचकारी अनुभव साझा किये
  • किताब के माध्यम से जानकारी देने कर कर रहे यात्रा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। "साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 93000 पाकिस्तानी सैनिकों को ढाका में आत्मसमर्पण करना पड़ा था। मैं दुनिया के सबसे बड़े आत्मसमर्पण को देखने के लिए पत्रकारों को हेलिकॉप्टर से भेजने के लिए जिम्मेदार था। मैंने अपने सहकर्मियों को भी इस ऐतिहासिक और समान रूप से अविस्मरणीय क्षण का अनुभव करने के लिए प्रेरित किया। इस युद्ध में प्रत्यक्ष भागीदार रहे वीर चक्र से सम्मानित स्क्वाड्रन लीडर पुष्प कुमार वैद्य ने यह रोमांचकारी अनुभव साझा किया। अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ नई दिल्ली, महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा पुणे विदर्भ क्षेत्र, नागपुर और रोटरी क्लब ऑफ एलीट के सहयोग से राष्ट्रभाषा परिसर में "पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में एआईएफ की भूमिका जिसके परिणाम स्वरूप 93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया' विषय पर पुष्प कुमार वैद्य का कथन कार्यक्रम आयोजित किया गया।

योगदान देने वाले लोगों को पता होना चाहिए : वैद्य ने इस बात पर अफसोस जाहिर करते हुए कि इस युद्ध में भारतीय सैनिकों द्वारा की गई बहादुरी का रत्तीभर भी ध्यान नहीं दिया गया। यह ज्ञात होते ही उन्होंने रिटायरमेंट के बाद इस पर एक किताब लिखी और अब वह इसकी कहानी बताने के लिए 82वें वर्ष में देशभर में यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने एक पीपीटी प्रेजेंटेशन के जरिये बताया कि वो दिसंबर 1971 के युद्ध के दौरान तीन हेलिकॉप्टरों की एक इकाई में थे। उन्हें युद्ध के मैदान में सैनिकों तक जरूरी सूचना पहुंचाने के साथ-साथ घायल सैनिकों को अस्पतालों तक पहुंचाने का काम सौंपा गया था। उन्होंने भूख-प्यास भूलकर कैसे भारतीय सैनिकों तक सामग्री पहुंचाई, कैसे हेलिकॉप्टर पर गोलीबारी हुई, कैसे सभी बच गये, इसका रोमांचकारी अनुभव उन्होंने बताया। उन्होंने कहा कि इस युद्ध के दौरान इस संबंध में एक विस्तृत डायरी भी लिखी थी।

खेल में निरंतरता के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी : डॉ. ठाकुर : खेलों में अगर निरंतर बने रहना है, तो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ खिलाड़ियों ने स्वयं का मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना जरूरी है। यह प्रतिपादन शहर के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. प्रदीप ठाकुर ने बेटियां शक्ति फाउंडेशन तथा क्लिक टू क्लाउड वुमन स्पोर्टिंग क्लब द्वारा आयोजित मार्गदर्शन में शिविर में किया। शिविर ईश्वर देशमुख कॉलेज ऑफ एजुकेशन में हुआ। कार्यक्रम में राष्ट्रीय तीरंदाज अनन्या नायडू का सम्मान किया गया। आयोजनकर्ता द्वारा ‘खिलाड़ियों का मानसिक शारीरिक स्वास्थ्य तथा खेल के दौरान चोट से बचने के उपाय एवं चोटिल खिलाड़ियों को प्रथम उपचार’ विषय पर मार्गदर्शन किया गया। विशेष अतिथि के रूप मे प्राचार्य डॉ. शारदा नायडू, अध्यक्ष के रूप में जिला समाज कल्याण अधिकारी मंगेश वानखेड़े उपस्थित थे।

Created On :   16 March 2024 12:32 PM GMT

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