समारोह: मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ ने कहा- निष्ठा राजनीतिक दल नहीं, संविधान के प्रति हो

मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ ने कहा- निष्ठा राजनीतिक दल नहीं, संविधान के प्रति हो
  • हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के शताब्दी वर्ष समारोह में वकीलों का मार्गदर्शन किए
  • वकीलों का पहला कर्तव्य न्यायालय और संविधान के प्रति होना चाहिए
  • एचसीबीए शताब्दी वर्ष समारोह का उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश के हाथों किया गया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बार एसोसिएशन के सदस्य के रूप में वकीलों का पहला कर्तव्य न्यायालय और संविधान के प्रति होना चाहिए, लेकिन आजकल वकील संघों के सदस्य ही अदालतों में प्रलंबित मामलों और फैसलों पर टिप्पणी कर रहे हैं। वकीलों की पहली निष्ठा किसी राजनीतिक दल के प्रति नहीं, बल्कि न्यायालय और संविधान के प्रति होनी चाहिए। न्यायपालिका की स्वतंत्रता, संवैधानिक मूल्यों और न्यायालय की गरिमा को बनाए रखने में वकील संगठन और सदस्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह विचार सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ ने रखे। वह हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (एचसीबीए) नागपुर के शताब्दी वर्ष समारोह में मार्गदर्शन कर रहे थे।

आप सामान्य व्यक्ति नहीं : बॉम्बे हाई कोर्ट नागपुर खंडपीठ परिसर में एचसीबीए शताब्दी वर्ष समारोह का उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश के हाथों किया गया। इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अरस्तू के अनुसार मनुष्य एक राजनीतिक प्राणी है। इसमें वकील भी कोई अपवाद नहीं हैं। हालांकि ध्यान रखें कि आप कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं। बार एसोसिएशन अदालतों और आम जनता के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य कर सकता है। आप विभिन्न कार्यक्रमों, भाषणों के माध्यम से संविधान और न्यायालय की जटिल कानूनी प्रक्रिया को सरल शब्दों में जनता को समझा सकते हैं। इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति भूषण गवई, न्यायमूर्ति अभय ओक, न्यायमूर्ति प्रसन्ना वराले, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश शरद बोबड़े, बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय, नागपुर खंडपीठ के प्रशासकीय न्यायमूर्ति नितीन सांबरे, राज्य के महाधिवक्ता डाॅ. बिरेंद्र सराफ, एचसीबीए के अध्यक्ष एड. अतुल पांडे और सचिव एड. अमाेल जलतारे उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन एड. राधिका बजाज और एड. शाद मिर्झा ने किया।

महिला वकीलों की भागीदारी कम : न्या. चंद्रचूड़ ने देश में वकील संगठनों में महिला वकीलों की कम भागीदारी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कानूनी पेशे में प्रवेश करने वाली युवा महिलाओं की वृद्धि हो रही है यह अच्छी बात है, लेकिन नागपुर सहित देश की यह स्थिति है कि महिला वकील एसोसिएशन के चुनावों में भाग नहीं लेती हैं, इसलिए एसोसिएशन और कार्यकारिणी में शामिल पुरुष जिम्मेदारी लेते हुए महिला वकीलों को चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित करें।

लेटर इज अ पिटीशन यही से शुरू : पूर्व मुख्य न्यायाधीश शरद बोबड़े ने कहा की लेटर इज अ पिटीशन यह संकल्पना नागपुर खंडपीठ से ही शुरू हुई है। जेल अधीक्षक के एक मामले में कार्ट को भेजे गए पत्र के आधार पर याचिका दायर की थी, साथ ही उन्होंने विदर्भ का आंदोलन बहुत पुराना होने की बात कही। इसके अलावा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन नागपुर के परंपरा का गौरव करते हुए एसोसिएशन की यह परंपरा ऐसे की बरकरार रहे यह इच्छा न्या. बोबड़े ने व्यक्त की।

यह हमारे लिए गौरव की बात : न्या. भूषण गवई ने कहा कि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन नागपुर का शताब्दी वर्ष मनाना अपने आप में एक मील का पत्थर है। आज मैं जो कुछ भी हूं, इस संगठन की वजह से हूं और मेरे लिए यह सबसे बड़ी गौरव की बात है। न्या. हिदायतुल्लाह और न्या. बोबड़े जैसे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इसी बार एसोसिएशन ने दिए हैं। अनेक प्रख्यात न्यायाधीश और वकील इसी बार एसोसिएशन की देन हैं। यह हमारे रोल मॉडल हैं।

Created On :   6 April 2024 5:07 AM GMT

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