Nashik News: प्याज निर्यात में 32 प्रतिशत की गिरावट, दूसरे देशों का वैश्विक बजार में वर्चस्व बढ़ा

प्याज निर्यात में 32 प्रतिशत की गिरावट, दूसरे देशों का वैश्विक बजार में वर्चस्व बढ़ा
  • वैश्विक बजार में स्थायी खतरे की संभावना
  • प्याज निर्यात में 32 प्रतिशत की गिरावट

Nashik News. सोमनाथ कोठुले । भारत आंतरराष्ट्रीय प्यात बजार में एक प्रमुख खिलाडी हैं, इसके बावजूद प्याज निर्यात में वर्ष 2024 - 25 में करिब 32 प्रतिशत कि कमी दर्ज हुई हैं। इसके लिये निर्यातपर पाबंदी, बढ़ाया हुआ निर्यात शुल्क और निर्यात नितीयों में लगाता होनेवाले बदलावों को जिम्मेदार माना जा रहा हैं। परिणाम स्वरूप पाकिस्तान, चीन और इजिप्त जैसे प्रतियोगी देशों ने वैश्विक बजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के ताजे आंकडो के अनुसार , भारत ने 2023-34 इस आर्थिक वर्ष में 17.17 लाख मेट्रिक टन प्याज निर्यात हुई थी, लेकिन , 2024-25 में यह आंकडे कम होकर केवल 11.47 लाख मेट्रिक टन पर पहुंचे हैं। करिब 32 प्रतिशत की कमी आई हैं। इस आर्थिक वर्ष में प्याज निर्यात से हमारे देश को 3 हजार 832 करोड़ रूपये का विदेशी चलन प्राप्त हुआ, लेकिन विगत वर्ष की तूलना में यह आंकडा कम होता देखने को मिला। निर्यात में हुई घट के कारण किसानों को बड़ झटका महसूस हुआ हैं।

निर्यात आंकड़े विदेशी चलन

-2018-19 21.83 लाख टन - 3468 करोड़

-2019-20 - 11.49 लाख टन 2320 करोड़

-2020-21 - 15.77 लाख टन 2826 करोड़

-2021-22 - 15.37 लाख टन 3432 करोड़

-2022-23 - 25.25 लाख टन 4522 करोड़

-2023-24 - 17.17 लाख टन 3922 करोड़

प्याज निर्यात में कमी का कारण

दिसंबर 2023 से मई 2024 के बीच सरकार ने प्याज के निर्यात पर पाबंदी लगाई थी।

मई 2024 में पाबंदी हटाकर 550 प्रति टन निर्यात मूल्य (MEP) और 40 % निर्यात कर लागू किया।

सितंबर 2024 में निर्यात कर 20 % किया गया, जो अप्रैल 1, 2025 से पूरी तरह हटाया गया।


वैश्विक बजार में स्थायी खतरे की संभावना

सचिन होलकर,कृषी विशेषज्ञ के मुताबिक राज्य के किसानों की अर्थनिती प्याज पर निर्भर हैं। इसलिये केवल उत्पादन पर ध्यान देना पर्याप्त नही हैं। निर्यात निती का स्थिर और दीर्घकालीन होना भी जरूरी हैं अन्यथा, भारत को वैश्विक बजार में स्थायी रूप से खतरा निर्माण होने की संभावना हैं।

दीर्घकालीन निती जरूरी

विकास सिंह, निर्यातक ने कहा कि भारत ने निर्यात नीति में स्थिरता लाना जरूरी हैं। इससे स्थानीय उत्पादक और निर्यातकों को वैश्विक बजार में अपना स्तर कायम रखने में मदद मिलेगी। साथ ही, स्पर्धात्मक शुल्क और निर्यात नियमों का सुलभीकरण करना आवश्यक हैं। देश के कृषी निर्यात को फिर मजबूत करने के लिए दीर्घकालीन नीति बनाना जरूरी हैं।


Created On :   5 Jun 2025 9:19 PM IST

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