अकोला मनपा की सर्वसाधारण सभा, स्थायी समिति सभाओं में नियमबाह्य तरीके से प्रस्ताव मंजूर करना पड़ा भारी

Akola Municipality : 139 proposals approved have been declared out of order
अकोला मनपा की सर्वसाधारण सभा, स्थायी समिति सभाओं में नियमबाह्य तरीके से प्रस्ताव मंजूर करना पड़ा भारी
कार्रवाई अकोला मनपा की सर्वसाधारण सभा, स्थायी समिति सभाओं में नियमबाह्य तरीके से प्रस्ताव मंजूर करना पड़ा भारी

डिजिटल डेस्क, अकोला। महानगरपालिका की सभाओं में बिना चर्चा, बिना पठन हंगामे के बीच विषयों को मंजूर करने की भाजपा सत्तादल की रणनीति का पोस्टमार्टम हो चुका है। जनवरी 2017 से लेकर दिसंबर 2020 तक हुई सभी सर्वसाधारण सभाओं में मंजूर प्रस्तावों की जांच में ऐन समय पर मंजूर 139 प्रस्तावों को नियमबाह्य करार दिया गया है। वहीं 2 जुलाई 2020 की सर्वसाधारण सभा तथा 2 सितंबर 2020 की स्थायी समिति की सभा में मंजूर प्रस्तावों को विखंडित किया गया है। 

भाजपा-शिवसेना में बढ़ा टकराव

राज्य स्तर पर शिवसेना-भाजपा में दरार पड़ने के बाद अकोला में दोनों पार्टियों में टकराव बढ़ा है। एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतों का दौर व राजनीतिक दांवपेच आजमाएं जा रहे है। विधान परिषद चुनाव में भाजपा ने शिवसेना याने महाविकास आघाड़ी को हराया, जिससे दोनों पार्टियों में आनेवाले दिनों में तकरार बढ़ सकती है। चुनाव नतीजे के दूसरे दिन ही अकोला महानगरपालिका पर वज्रघात कर शिवसेना ने भाजपा को मुसीबत में डाल दिया है। 

शासन के नगर विकास विभाग ने वर्तमान व पूर्व महापौर, पूर्व सभापति, तत्कालीन आयुक्त तथा नगर सचिव के खिलाफ तत्काल एफआईआर दाखिल करने के आदेश भी आयुक्त को दिए है। विधान परिषद चुनाव के नतीजे घोषित होते ही 14 दिसंबर की शाम जारी हुए इस आदेश से भाजपा खेमे में हड़कम्प मच गया है। वहीं मनपा के तत्कालीन व वर्तमान अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई है। बता दें कि अकोला महानगरपालिका की सर्वसाधारण सभाओं में समय पर के विषय के नाम पर पर्दे के पीछे कई आर्थिक विषय मंजूर किए गए है। वहीं सभाओं में बिना चर्चा, विषयों का पठन किए बिना हंगामे के बीच विषय मंजूर किए जाते रहे है। 

इस संदर्भ में शिवसेना के पूर्व विधायक गोपीकिशन बाजोरिया व मनपा पार्षद राजेश मिश्रा की ओर से राज्य सरकार की ओर शिकायत की गई थी। इस शिकायत के आधार पर महानगरपालिका की सभाओं की जांच एक माह में पूर्ण कर ब्योरा पेश करने के आदेश शासन ने विभागीय आयुक्त को दिसंबर 2020 में दिए थे। उसी दिन 20 प्रस्ताव अस्थायी निलंबित करने का आदेश जारी हुआ था। पश्चात विभागीय आयुक्त द्वारा गठित समिति की जांच प्रक्रिया महीनों चली। जांच समिति ने अपना ब्योरा शासन की ओर प्रस्तुत किया। इस ब्योरे के आधार पर शासन के नगर विकास विभाग ने शासन निर्णय जारी कर संबंधित पदाधिकारी व अधिकारियों पर एफआईआर दाखिल करने के आदेश दिए है।

24 दिसंबर 2020 के शासन आदेश पर विभागीय आयुक्त अमरावती के मार्गदर्शन में चार सदस्यीय समिति ने जांच आरंभ की। शुरूआत में सन 2017 से लेकर 2019 तक महानगरपालिका की सभाओं में मंजूर प्रस्ताव, समय पर मंजूर किए गए प्रस्ताव, प्रोसेडिंग, अजेंडा तथा प्रस्तावों का अनुपालन आदि को लेकर महानगरपालिका से जानकारी मांगी गई थी। बाद में सन 2020 के प्रस्तावों की भी जानकारी मांगी गई। जांच प्रक्रिया के बाद शासन ने महानगरपालिका की सर्वसाधारण सभाओं में 1 जनवरी 2018 से लेकर 31 दिसंबर 2020 के दौरान ऐन समय पर मंजूर 139 प्रस्तावों को अस्थायी निलंबित कर दिया है। महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ प्रस्ताव मंजूर किए गए थे। महानगरपालिका व आयुक्त को एक माह के भीतर अभिवेदन पेश करने का अवसर दिया गया है। 

सभी दस्तावेज आयुक्त कार्यालय में जमा 

शासन आदेश के बाद आयुक्त कविता द्विवेदी ने आवश्यक कार्यवाही के लिए गतिविधियां तेज कर दी। उसके तहत नगर सचिव विभाग से सभी रजिस्टर, सभाओं के प्रोसेडिंग, मंजूर प्रस्ताव समेत आवश्यक दस्तावेज कब्जे में लेने के आदेश दिए। संबंधित अधिकारियों ने सभी दस्तावेज इकट्‌ठा कर आयुक्त कार्यालय में जमा कर दिए है। इस मामले में तत्काल एफआईआर के आदेश है, जिससे गुरुवार को संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दाखिल होना लगभग तय माना जा रहा हे। सूत्रों के अनुसार देर रात तक महानगरपालिका के अधिकारी एफआईआर दाखिल करने की तैयारियों में जुटे रहे, लेकिन खबर लिखे जाने तक एफआईआर दाखिल नहीं हुआ था।
 

 

Created On :   17 Dec 2021 5:29 PM IST

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