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छाए बादलों खतरें में से चने की फसल, उत्पादन घटेगा- किसानों के सामने संकट से निपटने की चुनौती
डिजिटल डेस्क, अकोट, बालापुर | अकोट और बालापुर तहसील समेत पूरे जिले के किसानों ने खरीप के मौसम में से सबसे अधिक बुवाई नकद फसल के रूप में कपास और सोयाबीन की थी। लेकिन अतिवृष्टि के चलते दोनों फसलों का काफी नुकसान हुआ। अब किसानों की सारी उम्मीदे रबी के मौसम से है। इस बार किसानों ने नकद फसल चना और गेहूं की बुवाई की। लेकिन चने की फसल को बदरीले मौसम से काफी नुकसान संभव है। क्योंकि चने की फसल पर फफूंदी नामक बीमारी ने घेर लिया है। जिससे उत्पादन घटना तय है, ऐसा किसानों का कहना है। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। अब किसानों के सामने इस बीमारी को निपटने की चुनौती है।
बालापुर तहसील के किसानों ने इस रबी के मौसम में सबसे अधिक बुवाई चने की की है। अभी भी कुछ किसानों बुवाई करते नजर आ रहे हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल के रबी के मौसम से किसानों को काफी उम्मीदें है। क्योंकि खरीप के मौसम में किसानों का जो नुकसान हो गया है उसे रबी के मौसम में निकाला जा सकता है, ऐसा किसानों को विश्वास है। लेकिन किसानों को फिर एक बार उम्मीदों पर पानी फेरने का ड़र लग रहा है। क्योंकि तहसील में चने की फसल पर फफूंदी बीमारी का प्रकोप दिखाई दे रहा है। बदरीले मौसम का प्रभाव चने की फसल पर पड़ रहा है। जिससे किसान चिंता में नजर आ रहे हैं। अकोट तहसील के अधिकांश परिसर में किसानों ने गेहूं से ज्यादा चने की बुवाई की है। चने का क्षेत्र बीते साल की तुलना में इस साल बढ़ गया है। किसानों ने चने की फसल के लिए काफी खर्चा किया है। कुछ खेतों में बुवाई पूरी हुई है तो कुछ खेतों में अभी बुवाई की जा रही है। हालांकि 95 प्रतिशत चने की बुवाई पूरी हो गई है। लेकिन जो फसल अंकुरीत हुई है वह फसल फफूंदी रोग के कारण सिंचित और असिंचित दोनों क्षेत्रों पर किसानों को इस बीमारी ने चिंताग्रस्त कर लिया है। इस रोग के प्रकोप से पहले पौधे की पत्तियां मुरझाकर सूखने लगती है। लेकिन बाद चने का पूरा पौधा सूख जाता है। इस बीमारी से उत्पादन में काफी कमी आने की संभावना से किसान अभी से चिंता में नजर आ रहे हैं। इस बीमारी से फसल को किस तरह बचाय जाए, इस के लिए किसान प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं।
Created On :   20 Dec 2022 6:50 PM IST