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वैक्सीन लेना न चाहनेवालों ने ढूंढ निकाला फंडा, वेरीफिकेशन की जरूरत

डिजिटल डेस्क, अकोला। कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को भांपते हुए शासन, प्रशासन की ओर से नागरिकों के वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है। रेल, बस टिकट से लेकर हर शासकीय, निमशासकीय सेवा के लिए नागरिकों से वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र मांगा जा रहा है, ताकि सभी नागरिक अपना वैक्सीनेशन पूरा कर ले। किंतु जिन नागरिकों को कोरोना प्रतिबंधात्मक टीका लगवाना ही नहीं है उन्होने फर्जी वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र का विकल्प ढूंढ निकाला है। सूत्रों के अनुसार कुछ लोग 500 रूपए में बोगस प्रमाणपत्र बनवाकर दे रहे है, जिससे शासन, प्रशासन के प्रयासों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। इस कारण नागरिकों द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे वैक्सीनेशन प्रमाणपत्रों का वैरिफिकेशन होना जरूरी है। जनवरी 2021 से अकोला शहर समेत देश में कोरोना प्रतिबंधात्मक टीका लगाने की मुहिम शुरू हुई। शुरूआती दौर में धीमी गति से वैक्सीनेशन हुआ, लेकिन बाद में गति बढ़ी। टीके बड़े पैमाने पर उपलब्ध होने लगे, जिससे सुरक्षा की दृष्टि से नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर अपना वैक्सीनेशन पूरा करवाया। किंतु आज भी ऐसा एक तबका है जो वैक्सीन को गैरजरूरी समझकर उसे टाल रहा है। जिले के हजारों लोगों ने अभी तक पहला डोज तक नहीं लिया है। इन लोगों का वैक्सीनेशन पूरा हो और तीसरी लहर में अधिक जीवितहानि न हो इसलिए सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे है।
वेतन रोका, सेवाएं रोकी
टीका लगवाने से टालमटौल करनेवाले नागरिकों का भी वैक्सीनेशन पूरा हो इसलिए शासन, प्रशासन की ओर से नियमों को कड़ा किया गया। हर सेवा के लिए वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र मांगा जाने लगा है। रेल व बस टिकट के लिए वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र या यूनिवर्सल पास मांगी जा रही है। इसी प्रकार कर्मचारी व उनके परिवार का वैक्सीनेशन पूरा हो इसलिए वेतन रोकने का अल्टीमेटम दिया गया। कई प्रकार की सेवाओं के लिए भी कड़ाई से प्रमाणपत्र मांगा जा रहा है, लेकिन इसका विकल्प टीका न लगवानेवाले लोगों ने ढूंढ निकाला है। इस कारण शासन, प्रशासन के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है।
Created On :   14 Dec 2021 6:14 PM IST