एक भाई जो दूसरे भाई के दर्द में तड़प उठता है, उसके दुख में दुखी और उसकी खुशी में खुद को दुनियां का सबसे खुशनसीब समझता है। भाई जब दूसरे भाई के लिए जी रहा होता है, तो रिश्ते फलफूल रहे होते हैं। बात साल 1962 की है, जब राजस्थान के विसलपुर से राजमल जैन व्यापार करने के यहांआए थे। खड्ग रोड स्थित लक्ष्मी बिल्डिंग में रहकर ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करने लगे। बाद में राजमल के साथ उनके दो और भाई छगनलाल और केशरीमल जैन भी आ गए। समाजसेवा में अधिक रूचि होने के कारण राजमल समाजसेवा में बढ़चढ़कर भाग लेने लगे, इसी बीच अगली पीढ़ी भी बड़ी होने लगी। दोनों छोटे भाई ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय देखने लगे। भैरव ट्रांसपोर्ट देख रहे थे, धीरे-धीरे व्यापार बढ़ा और राजमल के दो सबसे छोटे भाई प्रकाशचंद और पुष्पतराज जैन भी यहीं आकर बस गए।
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चोट लगे तुझको तो दर्द मुझे होता है : 50 साल से एक ही थाली में खाना खा रहे दो सगे भाई

डिजिटल डेस्क, भिवंडी। फिल्म राजा का एक गीत शायद आपको याद होगा, जो भाइयों के बीच प्यार को और गाढ़ा कर देता है, इसके बोल हैं, चोट लगे तुझको तो दर्द मुझे होता है, आंख तेरी छलके तो दिल ये मेरा रोता है, भाई-भाई में अक्सर ये होता है…जी हां कुछ इसी तरह का प्यार लिए दो भाईयों ने अलग ही मिसाल पेश की है। जैन परिवार के दो सगे भाइयों में इस तरह प्रेम देखकर लगेगा कि शायद राम और लक्ष्मण की जोड़ी है। भाईयों की ये जोड़ी पिछले 50 साल से एक ही थाली में खाना खा रही हैं। पूरा परिवार संयुक्त रूप से रहता है। घरभर के भाइयों में इसी तरह एक दूसरे से अच्छा खासा लगाव है।


प्रकाशचंद और पुष्पतराज जैन दोनों भाइयों में एक दूसरे के प्रति लगाव इतना रहा, कि विवाह होने के बाद भी दोनो एक ही थाली में खाना खा रहे हैं, हालांकि यह सिलसिला साल 1969 से बादस्तूर जारी है। 50 साल बाद भी एक साथ एक ही थाली में बैठकर खाना खाते हैं। प्रकाशचंद जैन की उम्र 70 साल और पुष्पतराज 66 साल के हैं।

भाईयों में आपसी प्यार बना रहे, इसके लिए बचपन से मां बाप क्या कुछ नहीं सिखाते, शायद बचपन में परिजन की सीख मानों कहीं जहन में बैठ गई। पुष्पतराज जैन ने बताया कि वह पांच भाई थे, तीन का स्वर्गवास हो गया, लेकिन जब पांचो थे, तब भी एक साथ बैठकर ही खाना खाते थे। दिन का खाना प्रकाशचंद जैन के घर और रात का खाना पुष्पतराज के घर खाते हैं, यहीं कोई काम रहा तो एक दूसरे का इंतजार करते, लेकिन अकेले एक निवाला नहीं खाते। प्रकाशचंद की पत्नी बबीबेन के मुताबिक उपवास रहने पर दूसरे दिन चाहे जितनी देर हो जाए, लेकिन जब तक दोनों नहीं जाते तब तक उनका इंतजार करती हैं। पुष्पतराज जैन की पत्नी पवनबेन ने बताया कि दोनों भाइयों की तरह तीनों बड़े भाई भी साथ बैठकर खाना खाते थे।

एक बार पुष्पतराज के घर की टीवी खराब हो गई थी, जानकारी लगते ही बड़े भाई प्रकाशचंद ने तुरंत नई टीवी मंगवा दी। कुछ दिन बाद जब प्रकाशचंद का स्कूटर खराब हुआ, तो छोटे भाई पुष्पतराज नया स्कूटर खरीद ले आए। परिवार की परंपरा शुरू से ही चली आ रही है। परिवार में बहनों को लेकर कुल 167 सदस्य हैं, जिनमें आपसी प्रेम बना है, जो अब औरों के लिए भी एक मिसाल बन चुके हैं ।
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।