सड़कों को जानवरों से मुक्त करने हाईकोर्ट ने सरकार को कानून बनाने कहा,

High Court asked the government to make laws, to free the roads from animals
सड़कों को जानवरों से मुक्त करने हाईकोर्ट ने सरकार को कानून बनाने कहा,
सड़कों को जानवरों से मुक्त करने हाईकोर्ट ने सरकार को कानून बनाने कहा,

* कानून न बनने पर चार प्रमुख सचिवों के खिलाफ चलेगा अवमानना का मामला,सुनवाई चार माह बाद
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।जबलपुर शहर की मुख्य सड़कों पर घूमने वाले आवारा जानवरों को लेकर दायर अवमानना मामले पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा-प्रदेश की जिस भी सड़क पर जाओ, आवारा जानवर हर जगह पर मिलेंगे। राज्य सरकार पिछले कई वर्षों से उन जानवरों पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित रही है। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अंजुली पालो की पीठ ने सुनवाई के बाद सरकार को कहा है कि आवारा जानवरों को लेकर ठोस कानून बनाया जाए। चार माह के भीतर यदि ऐसा नहीं होता तो चार विभागों के प्रमुख सचिव इसके जिम्मेदार होंगे और उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। आदेश का पालन सुनिश्चित कराने युगलपीठ ने उसकी प्रति राज्य के मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश भी दिए हैं। हाईकोर्ट ने ये निर्देश सतना बिल्डिंग निवासी सतीश वर्मा की ओर से वर्ष 2009 में दायर अवमानना मामले पर सुनवाई के बाद दिए। इस मामले में आवेदक का कहना है कि शहर की सड़कों में आवारा जानवरों व कुत्तों के आतंक के मामले में हाईकोर्ट ने वर्ष 2007 में नगर निगम को अंकुश लगाने के निर्देश दिए थे। उस आदेश का पालन न होने पर यह अवमानना का मामला दायर किया गया था। इस मामले में आवेदक का आरोप है कि पूरे शहर की सड़कों पर आवारा सांड़ो का आतंक है, जिससे राहगीरों की जान पर हमेशा ही खतरा बना रहता है, इसके साथ ही  तायात भी बाधित होता है। आवेदक का कहना है ननि द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नही की जा रही है। इस मुद्दे को लेकर पूर्व में दिए गए आदेशों का परिपालन करने में ननि असफल रहा, जो अवैधानिक है। मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता सतीश वर्मा ने अपना पक्ष खुद रखा, जबकि राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता प्रवीण दुबे हाजिर हुए। अधिवक्ता श्री वर्मा ने युगलपीठ को बताया कि शहर में आवारा जानवरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि लोग अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करते। आए दिन इन जानवरों के कारण हादसे होने की खबरें सामने आती हैं। युगलपीठ ने मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए विस्तृत आदेश सुनाया, जिसकी फिलहाल प्रतीक्षा है।
कानून न बना तो हाजिर हों चारों प्रमुख सचिव  अपना विस्तृत आदेश सुनाते हुए युगलपीठ ने नया और सख्त कानून बनाने की  म्मेदारी  शहरी प्रशासन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, विधि विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिवों को दी है। युगलपीठ ने साफ किया है कि अगले चार माह में कानून नहीं बना, तो यही अफसर जिम्मेदार होंगे। हम उनके खिलाफ न सिर्फ सख्ती से पेश आएंगे, बल्कि उन्हें कोर्ट में हाजिर भी होना पड़ेगा।
हादसा हुआ तो कलेक्टर, एसपी व आयुक्त होंगे जिम्मेदार
सुनवाई के दौरान श्री वर्मा ने कहा कि कानून बनने तक यदि किसी हादसे में कोई घायल होता है या किसी की जान जाती है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। इस पर युगलपीठ ने साफ तौर पर कहा कि जिस भी जिले में ऐसा होता है तो वहां के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और नगर निगम आयुक्त इसके लिए जिम्मेदार होंगे। उन्हें भी इसका खामियाजा भुगतना होगा।
एक्सीडेंट में लोग मर रहे, पर अफसोस सरकार उदासीन
आवारा जानवरों को लेकर कानून बनाए जाने के मुद्दे पर अधिवक्ता श्री वर्मा ने युगलपीठ को बताया कि पिछले पाँच वर्षों से राज्य सरकार कानून बनाने के लिए समय ले रही, लेकिन नतीजा अब तक सिफर ही रहा। इस पर युगलपीठ ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा- एक्सीडेंट में लोग हर साल मर रहे, लेकिन अफसोस इस मुद्दे पर सरकार का रवैया उदासीन है। पर अब कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
 

Created On :   2 Oct 2019 8:00 AM GMT

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