निजी डेंटल कॉलेज के 30 छात्रों के प्रवेश निरस्त करने पर रोक, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी प्रदेश के डेंटल छात्रों को राहत

Jabalpur :Delhi High Court relief to Dental students in the state
निजी डेंटल कॉलेज के 30 छात्रों के प्रवेश निरस्त करने पर रोक, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी प्रदेश के डेंटल छात्रों को राहत
निजी डेंटल कॉलेज के 30 छात्रों के प्रवेश निरस्त करने पर रोक, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी प्रदेश के डेंटल छात्रों को राहत

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस हरिशंकर राव की एकल पीठ ने मध्यप्रदेश के निजी डेंटल कॉलेज में बीडीएस कोर्स के 30 छात्रों के प्रवेश निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है। डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) ने इस आधार पर 30 छात्रों के प्रवेश निरस्त कर दिए थे कि उन्होंने काउंसलिंग प्रक्रिया के जरिए प्रवेश नहीं लिया था।

छात्रों ने दायर याचिका में यह कहा
छात्रों की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि मप्र के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 2018-19 के लिए संयोजित काउंसलिंग कराई थी। अंतिम तिथि तक निजी डेंटल कॉलेजों की सैकड़ों सीटें खाली रह गई। नीट परीक्षा में शामिल होने वाले ऐसे छात्र, जिनकी मैरिट में अच्छी रैंक थी, लेकिन वे काउंसलिंग के लिए पंजीयन नहीं करा पाए थे। निजी डेंटल कॉलेज ने ऐसे 50 छात्रों को बीडीएस के कोर्स में प्रवेश दे दिया। डीसीआई दिल्ली ने जनवरी 2019 में आदेश जारी कर सभी 50 छात्रों के प्रवेश निरस्त कर दिए। डीसीआई का कहना था कि इन छात्रों ने काउंसलिंग प्रक्रिया के तहत प्रवेश नहीं लिया था। इनमें से 30 छात्रों ने दिल्ली हाईकोर्ट में प्रवेश निरस्त करने को चुनौती दी। अधिवक्ता सिद्द्धार्थ राधेलाल गुप्ता और प्रेरणा प्रियदर्शिनी के तर्क सुनने के बाद एकल पीठ ने छात्रों के प्रवेश निरस्त करने पर रोक लगा दी।

डीसीआई की आपत्ति को किया अस्वीकार
डीसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि याचिकाकर्ता छात्र मध्यप्रदेश के हैं। इसलिए उन्हें मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर करना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट में उनका न्यायाधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जानबूझकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। यह फोरम शिपिंग की श्रेणी में आता है। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने कहा कि छात्रों के प्रवेश निरस्त करने का आदेश डीसीआई नई दिल्ली ने जारी किया है। यह दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधिकार में आता है। इसलिए दिल्ली हाईकोर्ट में उनकी याचिका की सुनवाई की जा सकती है।

Created On :   17 March 2019 12:00 PM GMT

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