अमेरिका के खिलाफ कैसे लड़े वियतनामी सोल्जर्स, जबलपुर के कैडेट्स ने करीब से देखा

Jabalpur NCC cadets returned after exploring the Vietnamese army
अमेरिका के खिलाफ कैसे लड़े वियतनामी सोल्जर्स, जबलपुर के कैडेट्स ने करीब से देखा
अमेरिका के खिलाफ कैसे लड़े वियतनामी सोल्जर्स, जबलपुर के कैडेट्स ने करीब से देखा

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। वियतनाम के सैनिकों ने अमेरिकन और फ्रेंच आर्मी के खिलाफ युद्ध में गोरिल्ला तकनीक का इस्तेमाल किया था। उन्होंने युद्ध के लिए टनल्स बनाईं और उनका बखूबी इस्तेमाल किया। यह बात यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के अंतर्गत वियतनाम गए एनसीसी कैडेट्स रजत शेखर दुबे और तमन्ना सिंह ठाकुर ने वासपी पर शेयर की। रिपब्लिक डे कैंप में बेस्ट प्रदर्शन करने पर दोनों ही कैडेट्स का चयन वाइईपी के अंतर्गत वियतनाम के लिए हुआ था, जहां उन्होंनें इंडियन कल्चर रिप्रजेंट किया, वहीं वियतनामी कल्चर और आर्मी को करीब से जाना। इसके अलावा ऑल इंडिया नौसैनिक कैंप में बेस्ट परफॉर्मेंस देने के बाद एक अन्य कैडेट मनीष चौहान का चयन नेवल क्रूज के लिए हुआ था, जिसके अंतर्गत आईएनसीसी तीर पर उन्होंने मलेशिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया की यात्रा करने का मौका मिला। तीनों ही कैडेट्स एनसीसी की 2 एमपी नेवल यूनिट से हैं। कैडेट्स ने भास्कर से एक्सपीरियंस साझा किए।

सुबह 6 बजे ब्रेकफास्ट करते हैं वियतनाम के लोग
कैडेट्स ने बताया वियतनाम जाने से पहले दिल्ली में प्री-वाइईपी कैंप में ट्रेनिंग हुई, जहां वियतनाम के कल्चर और वहां की भाषा के बारे में उन्हें बताया गया। 28 नवंबर को 13 कैडेट्स और 2 ऑफीसर्स की टीम के साथ वियतनाम पहुंचे और 9 दिनों तक कंट्री को एक्स्प्लोर किया। जिसमें हानोई माजोलियम, हालोंग बे, हो-ची-मिन, सु-ची टनल्स के साथ इंडियन एंबेसी गए। कैडेट्स ने वहां के लोगों के बारे में जो बात नोटिस की वो यह थी कि वहां लोग सुबह 6 बजे ब्रेक फास्ट करते हैं, 11 बजे लंच और 7 से 8 के बीच में डिनर कर लेते हैं।

कैडेट्स ने शेयर किए एक्सपीरियंस
रजत शेखर दुबे
पैरेंट्स-
सारिका-राजेश दुबे
आर्मी की वॉर टेक्टिक्स देखीं
आरडीसी में बेस्ट कैडेट रहा, जिसकी वजह से वाइईपी के लिए सिलेक्शन हुआ। वियतनाम बहुत ही खूबसूरत देश है। यहां इंडियन एम्बेस्डर और यूथ फेडरेशन के प्रेसीडेंट से मिलने मिला। वहीं आर्मी की वॉर टेक्टिक्स भी देखीं। वियतनाम वॉर फेमस है, इसमें उपयोग हुईं टनल्स को देखने का मौका मिला। यह यादगार एक्सीपीरियंस रहा है। मेरे पिता आर्मी में हैं, इसलिए मैं भी इंडियन आर्मी में ऑफीसर बनना चाहता हूं और इसके लिए तैयारी कर रहा हूं। सी सर्टिफिकेट के साथ सीडीएस एग्जाम पर फोकस है।

तमन्ना सिंह ठाकुर
पैरेंट्स-
संध्या-विजय सिंह ठाकुर
लाइफ का बेस्ट एक्सपीरियंस
मैंने सीनियर्स को आरडीसी और फिर वाइईपी के लिए सिलेक्ट होते हुए देखा। इस बात ने मुझे इंस्पायर किया और मैंने तैयारी शुरू की। इसी वर्ष आरडीसी सिलेक्ट हुई। एमपी-सीजी की बेस्ट कैडेट बनी। वियतनाम मेरे लिए अब तक की लाइफ का बेस्ट एक्सपीरियंस रहा है। वहां लोग बहुत ही अच्छे और फ्रेंडली हैं, साथ ही इंडियन्स की बहुत रिस्पेक्ट करते हैं। वहां वॉर टनल्स को अंदर जाकर देखना मेरे लिए यादगार अनुभव था। मैं सपना है कि डिफेंस में कैरियर बनाऊं, इसिलए सीडीएस की प्रिपरेशन कर रही हूं।

मनीष कुमार चौहान
पैरेंट्स-
शारदादेवी- गोविंद सिंह चौहान
नेवल ऑफीसर्स की तरह किया ट्रीट
ऑल इंडिया नौसैनिक कैंप में बेहतर परफॉर्म करने के बाद मेरा चयन नेवल क्रूज के लिए हुआ, जिसमें आईएनएस तीर पर जाने का मौका मिला। शिप पर हमें ठीक नेवल ऑफीसर्स की तरह ट्रीट किया गया।

 

Created On :   15 Dec 2018 7:53 AM GMT

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