भूकंप के झटकों से दहशत में लोग, दो बार डोली धरती

People in panic due to earthquake, twice the earth
भूकंप के झटकों से दहशत में लोग, दो बार डोली धरती
भूकंप के झटकों से दहशत में लोग, दो बार डोली धरती


डिजिटल डेस्क सिवनी। जिले में बारिश अब रुक गई है लेकिन जिला मुख्यालय में भूकंप के झटकों का आना बंद नहीं हुआ है। प्रशासन ने भूकंप के लिए बारिश को जिम्मेदार बताते हुए इसे लोगों के लिए खतरनाक नहीं बताया था। पिछले कई दिनों से रुके हुए झटकों की श्रंखला के रविवार को फिर से शुरु होने पर अब नागरिकों में दहशत का आलम है और लोग इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की बात कह रहे हैं।  
रविवार से फिर शुरु हुआ सिलसिला-
जिला मुख्यालय और शहर से लगे उपनगरीय इलाक ों में रविवार को सुबह और शाम को दो बार कंपन होने का एहसास लोगों को हुआ। सुबह तकरीबन दस बजकर 12 मिनट और शाम को चार बजे के बाद आए झटकों से लोग घबरा गए। सिवनी शहर के अलावा डूंडासिवनी और दूसरे इलाकों में भी झटके महसूस किए गए। कई इलाकों में लोग भूकंप के बाद घरों से बाहर निकल आए। इस बार आए झटके अपेक्षाकृत तेज कंपन के थे।
थाने में हुई थी शिकायत-
सिवनी में भूकंप आने का सिलसिला नया नहीं है। लगभग एक वर्ष से रुक-रुककर झटके लग रहे हैं। डूंडासिवनी थाना क्षेत्र में स्थानीय पार्षद रामप्यारी बाई निवासी कबीर वार्ड ने थाना में बकायदा एक आवेदन देकर बार-बार धरती के डोलने और मकान में दरारें पडऩे की जानकारी देते हुए फौरन कार्रवाई की मांग कर दी थी।
प्रशासन ने यह बताया था कारण-
भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग जबलपुर के जियोफिजिसिस्ट एमएस पठान एवं असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट सुजीत कुमार ने सात सितंबर को सिवनी पहुंचकर सर्वेक्षण किया था। सर्वे के बाद रिपोर्ट में सिवनी जिले के सेंट्रल इंडियन टेक्टोनिक ज़ोन में स्थित होने की जानकारी देते हुए प्रथम दृष्टया  लगातार झटकों को भूकंप के झुंड के रूप में वर्गीकृत किया था। यह हल्के झटके हैं जो भारी वर्षा के बाद छोटे क्षेत्र में कुछ मामलों में महीनों तक चलते हैं। मानसून के कारण पानी की मेज में बदलाव के कारण इस तरह के झटको की संभावना होती है। वर्षा जल के अंदरूनी चट्टानों में रिसने से अंदर का दबाव बढ़ जाने के कारण भी इस तरह के क्रेक या स्वाम्र्स की संभावना बनती हैं। रिपोर्ट में भू-गर्भीय घटनाओं के विस्फोट की ध्वनि के साथ होने को स्रोत क्षेत्र के बहुत उथला होने की संभावना व्यक्त की गई है। बारिश के बाद तीन से चार महीनों में यह जल-भूकंपीय घटनाएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं।

Created On :   18 Oct 2020 3:02 PM GMT

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