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सर्वोच्च सम्मान के तौर पर है राजदंड, सियासी हित के लिए उठाते रहे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। रघुनाथसिंह लोधी। विधानसभा मेें अध्यक्ष के आसन के सामने राजदंड को सभागृह के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर रखा जाता है। लेकिन यह राजदंड कई बार उठाये जाते रहे हैं। राजदंड उठाने में राजनीति हित निहित रहता है। बुधवार को नागपुर विधानसभा में राजदंड उठाने के मामले को भी राजनीतिक माना जा रहा है। राजदंड उठाने के इस मामले को विपक्ष ने शिवसेना की नौटंकी कहा है। गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा व सभा सचिवालय का प्रमुख होता है। पीठासीन अधिकारी होता है लिहाजा उन्हें संविधान, प्रक्रिया, नियमों व स्थापित संसदीय परंपराओं के अंतर्गत व्यापक अधिकार रहता है।
सभा परिसर में अध्यक्ष का प्राधिकार सर्वोच्च रहता है। सभा चलाने की पूरी जिम्मेदारी अध्यक्ष पर रहती है। परंपरागत तौर अध्यक्ष के अासन के सामने राजदंड रखा जाता है। सभा समाप्त होने तक राजदंड रखा जाता है। सर्वोच्च सम्मान के प्रतीक के तौर पर इस राजदंड को लेकर कोई बाहर चला जाए तो सभा का कामकाज रोक देना पड़ता है। अपनी बात रखने या मनवाने के नाम पर सदस्य राजदंड लेकर सभा से बाहर जाने का प्रयास करते रहते हैं। लेकिन ऐसा कम ही होता है कि राजदंड लेकर कोई भाग जाए।
राज्य विधानसभा के लिहाज से देखा जाए तो इसी वर्ष मार्च में बजट सत्र के दौरान राजदंड उठाया गया था। आंगनवाड़ी सेविकाओं का एस्मा अर्थात महाराष्ट्र आवश्यक सेवाएं रखरखाव अधिनियम लगाए जाने का मामला गर्माया था। सत्ता में सहयोगी शिवसेना विपक्ष के साथ आ गई थी। महिला और बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे का विरोध किया जा रहा था। विरोध के बीच शिवसेना विधायक ज्ञानराज चौगुले ने राजदंड उठा लिया। तब विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागड़े ने चौगुले को निलंबित किया था। इससे पहले 2013 में नागपुर में ही शीतकालीन अधिवेशन में राजदंड उठाया गया था।
उपाध्यक्ष वसंत पुरके के सामने प्रदर्शन किया गया था। कांग्रेस के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। उनमें नागपुर से तत्कालीन मंत्री नितीन राऊत व अनीस अहमद भी शामिल थे। दागी मंत्रियों के मामले में सरकार से स्पष्टीकरण की मांग के साथ नाना पटोले ने राजदंड उठाया था। बाद में पटोले भाजपा के सांसद चुने गए। अब कांग्रेस में प्रदेश उपाध्यक्ष है। 2010 में नागपुर विधानसभा में ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के विधायकों ने राजदंड उठाया था।
राजदंड उठानेवाले मनसे के तत्कालीन विधायकों में से एक विधायक फिलहाल भाजपा में विधायक हैं। पहले के काल की बात की जाए तो शरद पवार के नेतृत्व की सरकार के समय बबनराव ढाकणे विधानसभा अध्यक्ष का राजदंड उठाकर चर्चा में आए थे। वे जनता दल से जुड़े थे। महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा में आने के बाद उन्हें केंद्र की राजनीति में भी मौका मिला। चंद्रशेखर के नेतृत्व की केंद्र सरकार में ढाकणे राज्यमंत्री बनाए गए थे। नागपुर विधानसभा में 2013 में विधायक रवि राणा को बाहर करने के लिए मार्शल बुलाया गया था।
Created On :   11 July 2018 9:26 PM IST