Margashirsha Purnima 2025: जीवन में सुख-समृद्धि के लिए साल की आखिरी पूर्णिमा पर इस विधि से करें पूजा, जानें महत्व

जीवन में सुख-समृद्धि के लिए साल की आखिरी पूर्णिमा पर इस विधि से करें पूजा, जानें महत्व
धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर दान और पूजा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। इस दिन लोग व्रत रखने के ​साथ ही विधि विधान से पूजा करते हैं। खास तौर पर इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर स्नान, दान और पूजा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। बता दें कि, मार्गशीर्ष मास में पूर्णिमा तिथि 04 दिसंबर 2025, गुरुवार के दिन है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...

तिथि कब से कब तक

मार्गशीर्ष पूर्णिमा आरंभ: 04 दिसंबर 2025, गुरुवार की सुबह 8 बजकर 38 मिनट से

मार्गशीर्ष पूर्णिमा समापन: 05 दिसंबर 2025, शुक्रवार की सुबह 04 बजकर 44 मिनट तक

पूजा-विधि

- मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की सत्यनारायण स्वरूप में विशेष पूजा की जाती है।

- सुबह पवित्र नदी जैसे गंगा में स्नान किया जाता है, संभव ना होने पर घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर मंत्रों के साथ स्नान करते हैं।

- इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है और व्रत का संकल्प लेते हैं।

- पूजा स्थल की साफ-सफाई कर उस स्थान पर एक चौकी बिछाकर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।

- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

- धूप, दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें और विधि विधान से पूजा करें।

- विष्णु जी को पंचामृत, केले और पंजीरी का भोग लगाएं।

- पूजा के बाद परिवार और अन्य लोगों में प्रसाद बांटे और अपने सामर्थ्य के अनुसार, दान-दक्षिणा दें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   4 Dec 2025 5:17 PM IST

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