मकर संक्रांति 2018 : इस दिन होगा शनि और सूर्य का मिलन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मकर संक्रांति, एक ऐसा त्योहार है जिसका इंतजार एक माह पहले ही शुरू हो जाता है। यह संक्रांति अन्य संक्रांतियों से अलग है। मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है। सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और यही वह दिन है जब सूर्य उत्तरायण होता है और उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है।
शनि मकर और कर्क राशि का स्वामी (मकर संक्रांति 2018)
मकर संक्रांति से ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। शरद ऋतु क्षीण होने और बसंत के आगमन का संदेश है। इसके बाद दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन का भी प्रतीक है। शनि मकर और कर्क राशि का स्वामी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शनि अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार असुरों पर जीत प्राप्त करके इसी दिन भगवान विष्णु ने मंदार पर्व पर गाड़ दिया था। इसी जीत के उपलक्ष्य में मकर संक्रांति का त्योहर मनाया जाता है।
नई ऋतु नई फसल के आगमन का दिन
यह नई ऋतु नई फसल के आगमन का दिन है अतः मकर संक्रांति देश के अलग-अलग हिस्सों और धर्मों में अलग-अलग नाम से मनाई जाती है। पंजाब और जम्मू.कश्मीर में मकर संक्रांति को लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है। तमिलनाडु में पोंगल जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी के नाम से यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन तिल के लड्डू, चिक्की, दही चूड़ा और खिचड़ी बनाने का बहुत महत्व है।
मिलती है जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति
गीता में ऐसा उल्लेख मिलता है कि जब सूर्य 6 माह के शुभ समय में जब सूर्य देव उत्तरायण हैं तो पृथ्वी पर प्रकाश दैदिप्यमान होता है। इस दिव्य प्रकाश में देह त्यागने वाले को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है मनुष्य मोक्ष को प्राप्त होता है। वह ब्रम्हा काे प्राप्त हाेता है।
Created On :   19 Dec 2017 8:03 AM IST