Mahalaxmi Vrat 2025: कब करें महालक्ष्मी व्रत 14 या 15 सितंबर? जानिए सही तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

कब करें महालक्ष्मी व्रत 14 या 15 सितंबर? जानिए सही तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
  • हर साल महालक्ष्मी व्रत अश्विन महीने में रखा जाता है
  • कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह व्रत रखा जाता है
  • हाथी पर बैठी देवी महालक्ष्मी की पूजा की परंपरा है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में सालभर कई सारे व्रत और त्योहार आते हैं, जिनका अपना अलग महत्व होता है। फिलहाल, अश्विन यानि कि आषाढ़ मास चल रहा है और इस महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat) किया जाता है। इस दिन हाथी पर बैठी देवी महालक्ष्मी की पूजा की परंपरा है। ऐसे में इसे हाथी पूजन और गज लक्ष्मी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। महालक्ष्मी व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। मान्यता है कि, जो भी इस व्रत को करता है उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

इसके अलावा इस दिन सोना खरीदना शुभ माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि, इस दिन खरीदा गया सोना 8 गुना बढ़ता है। आपको बता दें कि, इस वर्ष महालक्ष्मी व्रत 14 सितंबर, रविवार के दिन रखा जाएगा। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र...

इस विधि से करें पूजा

- इस दिन मिट्टी का हाथी हाथ से बनाएं और यदि संभव ना हो तो बाजार से लाकर उसे स्वर्णाभूषणों से सजाएं।

- अब हाथी पर नए खरीदे गए सोने से बने आभूषण चढ़ाएं।

- कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें।

- कलश को पान के पत्तों से सजाकर उसमें पानी भरकर मंदिर में रखें।

- कलश के ऊपर नारियल रखें।

- कलश के चारों तरफ लाल धागा बांधें और कलश को लाल कपड़े से अच्छी तरह से सजाएं।

- कलश पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं और उसमें चावल व सिक्के डालें।

- माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें।

- इसके बाद कमल के फूल से पूजन करें।

- गज को घर में बने पकवान चढ़ाएं, इसके बाद इस कलश को महालक्ष्मी के पूजास्थल पर रखें।

- सोने- चांदी के सिक्के, मिठाई व फल भी रखें।

- इसके बाद माता लक्ष्मी के 8 रूपों की कुंकुम, चावल और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें।

पूजा के दौरान इन मंत्रों का करें जाप

ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:

ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:

ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:

ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:

ॐ कामलक्ष्म्यै नम:

ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:

ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:

ॐ योगलक्ष्म्यै नम:

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (पंडित, ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   12 Sept 2025 4:34 PM IST

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