Mahabharani Shradh 2025: जानिए क्यों महत्वपूर्ण है महाभरणी श्राद्ध, क्या है इसका महत्व और मुहूर्त

जानिए क्यों महत्वपूर्ण है महाभरणी श्राद्ध, क्या है इसका महत्व और मुहूर्त
  • हर साल यह अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आता है
  • भरणी नक्षत्र में आने की वजह से महाभरणी नाम पड़ा
  • इस बार महाभरणी श्राद्ध 11 सितंबर को पड़ रहा है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का बड़ा महत्व है और 16 दिनों की अवधि वाले श्राद्ध पक्ष में कुछ महत्वपूर्ण तिथियां मानी गई हैं। इनमें से एक है महाभरणी श्राद्ध (Mahabharani Shradh), जो कि हर साल यह अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आता है। विद्धानों के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान इस श्राद्ध के भरणी नक्षत्र में आने की वजह से इसे महाभरणी श्राद्ध कहा जाता है। ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन किया जाने वाला श्राद्ध का फल गया तीर्थ में किए गए श्राद्ध के समान प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन श्राद्ध जरूर करना चाहिए। इस बार महाभरणी श्राद्ध 11 सितंबर को पंचमी तिथि पर पड़ रहा है।

आपको बता दें कि, पितृपक्ष के दौरान वंशज अपने मृत परिजनों और पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं। कहा जाता है कि, ऐसा करने से मृत पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं महाभरणी श्राद्ध का महत्व...

महाभरणी श्राद्ध की तिथि और समय

कुटुप मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तक

रौहिं मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से दोपहर 01 बजकर 09 मिनट तक

महाभरणी श्राद्ध का महत्व

ग्रंथों के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान आने वाले इस खास दिन के स्‍वामी मृत्‍यु के देवता यमराज हैं। पितृपक्ष के दौरान भरणी नक्षत्र के आने पर यह दिन खास हो जाता है। हालांकि, तिथि को लेकर कई बार असमंजस की स्थिति देखने को मिलती है। अधिकांश यह नक्षत्र चतुर्थी तिथि या फिर पंचमी तिथि को पड़ता है। लेकिन, कई बार ये तृतीया तिथि पर भी पड़ा है, ऐसे में भरणी श्राद्ध किसी एक तिथि से जुड़ा माना जाना सही नहीं है।

धार्मिक मान्यतानुसार, महाभरणी श्राद्ध को करने का फल बोधगया में पिंडदान करने के बराबर माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि, यदि मृत व्यक्ति अपने जीवनकाल में किसी धार्मिक यात्रा पर नहीं गया तब भी इस खास दिन श्राद्ध करने से उसे गया में श्राद्ध करने जितना पुण्य मिलता है। इस दिन किए गए श्राद्ध से यमराज प्रसन्न होते हैं।

भरणी नक्षत्र पर ऐसे करें

श्राद्ध महाभरणी श्राद्ध के दिन आप आपने पूर्वजों का तर्पण दक्षिणमुख होकर करें। इस दिन आप तिल, जल, कुशा, चावल, घी और जौ के आटे से बने पिंड अर्पित करें। तर्पण और श्राद्ध के बाद आप ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा अवश्य दें। इसके अलावा इस खास दिन अन्न, वस्त्र और जरूरी चीजों का दान करना भी शुभ माना गया है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (पंडित, ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   10 Sept 2025 10:46 PM IST

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