इस नवरात्र पर बन रहा है खास संयोग, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस नवरात्र पर बन रहा है खास संयोग, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
इस नवरात्र पर बन रहा है खास संयोग, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
शारदीय नवरात्र 2022 इस नवरात्र पर बन रहा है खास संयोग, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ सोमवार 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र आरंभ होने जा रहे हैं। इसके बाद पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना की जाएगी। नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ कलश स्थापना की जाती है। इसके साथ ही नवमी तिथि को पूजा करने के बाद शुभ मुहूर्त पर नवरात्र का पारण किया जाता है। 

नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन कलश या घट स्थापना सूर्योदय के बाद अभिजीत मुहुर्त में करना श्रेयष्कर माना जाता है। बता दें कि प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है। आइए जानते हैं कलश स्थापना, मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...

खास योग और मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस साल शारदीय नवरात्र पर शुक्ल और ब्रह्न योग बन रहा है। इस शुभ योग में मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होगी।

घटस्थापना सुबह मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 55 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक

ऐसे करें कलश स्थापना
- इस दिन स्नान-ध्यान करके माता दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह कुबेरादि की मूर्ति के साथ कलश स्थापना करें।
- कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें।
- कलश स्थापना के समय अपने पूजा गृह में पूर्व के कोण की तरफ अथवा घर के आंगन से पूर्वोत्तर भाग में पृथ्वी पर सात प्रकार के अनाज रखें।
- फिर जौ भी डालें और इसके बाद कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें।
- फिर "ॐ भूम्यै नमः" कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें।
- फिर जौ भी डालें और इसके बाद कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी, रुपया, पुष्पादि डालें।
- फिर "ॐ भूम्यै नमः" कहते हुए कलश को सात अनाजों सहित रेत के ऊपर स्थापित करें।
- इसके बाद कलश में थोड़ा और जल या गंगाजल डालते हुए "ॐ वरुणाय नमः" बोलें और जल से भर दें।
- इसके बाद आम का पल्लव कलश के ऊपर रखें।
- इसके बाद जौ अथवा कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें।
- अब उसके ऊपर चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल रखें।
इसके बाद हाथ में हल्दी, अक्षत पुष्प लेकर इच्छित संकल्प लें और "ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः! दीपो हरतु मे पापं पूजा दीप नमोस्तु ते मंत्र का जाप करते दीप पूजन करें।
- कलश पूजन के बाद नवार्ण मंत्र "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!" से सभी पूजन सामग्री अर्पण करते हुए मां शैलपुत्री की पूजा करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष, वास्तुशास्त्री) की सलाह जरूर लें।

Created On :   24 Sep 2022 1:25 PM GMT

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