सीता नवमी 2020: आज राम-जानकी की विधि-विधान से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Sita Navami 2020: know auspicious muhurat and worship method
सीता नवमी 2020: आज राम-जानकी की विधि-विधान से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सीता नवमी 2020: आज राम-जानकी की विधि-विधान से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी कहा जाता है। इस दिन माता सीता ने पृथ्वी पर मिथिला के राजा जनक के यहां अवतार लिया था। इस तिथि को जानकी जयंती के रूप में भी जाना जाता है। इस वर्ष सीता नवमी 02 मई, शनिवार यानी कि आज है। मान्यता के अनुसार राम-जानकी की विधि-विधान से पूजा की जाती है और सुहागिन महिलाएं अपने सौभाग्य रक्षा और पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। 

कहते हैं कि जिस प्रकार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर रामनवमी का महत्व है, ठीक उसी प्रकार वैशाख शुक्ल नवमी पर जानकी नवमी का महत्व है। माना जाता है कि यह व्रत-पूजन करने से भूमि दान, तीर्थ भ्रमण फल के साथ ही व्रती को सभी दुखों, रोगों व संतापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं सीता नवमी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...

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सीता नवमी का मुहूर्त
नवमी तिथि प्रारंभ - 01 मई 2020 की दोपहर 01:26 बजे से  
नवमी तिथि समाप्त - 02 मई 2020 की सुबह 11:35 तक  
सीता नवमी मुहूर्त: सुबह 10:58 से दोपहर 01:38 बजे तक  
कुल अवधि - 02 घंटे 40 मिनट

ऐसे हुआ माता सीता का जन्म
वाल्मिकी रामायण के अनुसार, एक समय मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा, जिससे राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे। ऐसे में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। इसके बाद वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के द‍िन पुष्य नक्षत्र में राजा जनक ने हवन आयोजित किया था। जब राजा जनक ने यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए भूमि जोती, तो उसी समय उन्हें पृथ्वी में दबी हुई एक बालिका मिली थी। चूंकि जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को सीता कहते हैं। ऐसे में इस बालिका का नाम सीता रखा गया। 

सीता नवमीं की पूजा विधि
सीता नवमी पर व्रत और पूजन के लिए अष्टमी तिथि को ही स्वच्छ होकर शुद्ध भूमि पर सुंदर मंडप बना लेना चाहिए। यह मंडप स्नान के बाद जमीन को लीपकर अथवा स्वच्छ जल से धोकर आम के पत्तों और फूल से बनाना चाहिए। यह मंडप सोलह, आठ या चार स्तंभों वाला होना चाहिए। इस मंडप में एक चौकी रखें और इसके बाद लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाएं। इसके बाद भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें। फिर श्रीराम और माता सीता के नाम का संकल्प पढ़कर विधि-विधान से पूजन करें। 

पूजा के लिए सोने, चांदी, ताम्र, पीतल, लकड़ी और मिट्टी, इनमें से अपनी क्षमता के अनुसार किसी एक धातु से बनी हुई प्रतिमा की स्थापना करें। मूर्ति न होने पर चित्र द्वारा भी पूजन किया जा सकता है।

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इन मंत्रों का जाप करें
सीता नवमी के दिन शुद्ध रोली मोली, चावल, धूप, दीप, लाल फूलों की माला तथा गेंदे के पुष्प और मिष्ठान आदि से माता सीता की पूजा अर्चना करें। तिल के तेल या गाय के घी का दीया जलाएं और एक आसन पर बैठकर लाल चंदन की माला से ॐ श्रीसीताये नमः मंत्र का एक माला जाप करें। इसके बाद अपनी माता के स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।

‘श्री रामाय नमः’ और ‘श्री सीतायै नमः’ मूल मंत्र से भी पूजा करनी चाहिए। ‘श्री जानकी रामाभ्यां नमः’ मंत्र द्वारा आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, पंचामृत स्नान, वस्त्र, आभूषण, गन्ध, सिन्दूर तथा धूप-दीप और नैवेद्य आदि उपचारों द्वारा श्रीराम-जानकी का पूजन और आरती करनी चाहिए। वहीं दशमी के दिन फिर विधिपूर्वक भगवती सीता-राम की पूजा-अर्चना के बाद मण्डप का विसर्जन कर देना चाहिए।

Created On :   1 May 2020 4:04 AM GMT

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